उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का समापन, नए शिक्षा ढांचे का प्रस्ताव
उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है, जिससे सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को एक नए ढांचे में लाने का प्रस्ताव है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक विधेयक पेश किया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों के संस्थानों को समान मान्यता प्रदान करना है। इसके साथ ही, जबरन धर्म परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए भी एक नया विधेयक लाया गया है। जानें इस महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में अधिक जानकारी।
Aug 21, 2025, 13:49 IST
उत्तराखंड में शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव
उत्तराखंड में अगले वर्ष से मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को एक नए ढांचे में लाने का प्रस्ताव किया गया है। राज्य सरकार ने इस दिशा में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम विधेयक को विधानसभा में पेश किया है। इसका उद्देश्य न केवल मदरसा शिक्षा को मान्यता देना है, बल्कि सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को भी समान मान्यता प्रदान करना है।यह कदम उत्तराखंड को देश का पहला राज्य बना रहा है, जो विभिन्न धार्मिक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को एक छतरी के नीचे लाएगा। इस अधिनियम के अंतर्गत एक नया प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा, जो इन संस्थानों को मान्यता देने का कार्य करेगा। इससे राज्य में शिक्षा के मानकों और उनकी निगरानी को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा।
पहले केवल मुस्लिम समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्राप्त होती थी, लेकिन अब यह सुविधा अन्य समुदायों को भी मिलेगी। इसके साथ ही, मदरसा शिक्षा बोर्ड की जगह एक नया प्राधिकरण गठित किया जाएगा, जो इन संस्थानों को उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड के मानकों के अनुसार संचालित करने की अनुमति देगा। हालांकि, धार्मिक शिक्षा पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन पाठ्यक्रम राज्य के शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करेगा।
इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड में जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन पर नियंत्रण रखने के लिए राज्य सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक भी सदन में पेश किया है। इस नए विधेयक के तहत, यदि किसी व्यक्ति ने जबरन धर्म परिवर्तन कराया या किया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।