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कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए आंतरिक आरक्षण का सर्वेक्षण: नई समय सीमा और प्रक्रिया

कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए एक सर्वेक्षण चल रहा है, जिसकी समय सीमा बढ़ाकर 22 जून 2025 कर दी गई है। यह सर्वेक्षण 9,400 नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों पर आयोजित किया जाएगा। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और कैसे नागरिक अपनी जानकारी दे सकते हैं।
 

कर्नाटक में अनुसूचित जातियों का सर्वेक्षण

कर्नाटक में अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों के लिए आंतरिक आरक्षण लागू करने के उद्देश्य से एक व्यापक सर्वेक्षण चलाया जा रहा है। इस सर्वेक्षण की समय सीमा को बढ़ाकर अब इसे 9,400 'नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों' पर 9 जून से 22 जून 2025 तक जारी रखा जाएगा। यह जानकारी जस्टिस एच.एन. नागमोहन दास की अध्यक्षता वाली कमिशन द्वारा दी गई है, जिसे आंतरिक आरक्षण की सिफारिश करने का कार्य सौंपा गया है।


'कम्प्रिहेंसिव सर्वे ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट्स-2025' की शुरुआत 5 अप्रैल 2025 से हुई थी। यह सर्वेक्षण विशेष शिविरों और ऑनलाइन स्व-घोषणा के माध्यम से किया जा रहा है। 7 जून 2025 तक जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य में सर्वेक्षण की 90% प्रगति हो चुकी है, जबकि 10% परिवारों का डेटा अभी भी इकट्ठा किया जाना बाकी है। कुछ अनुसूचित जाति संगठनों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी, जिसे कमिशन ने स्वीकार कर लिया है।


2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक में एससी की जनसंख्या 1.04 करोड़ थी, जो 2025 में बढ़कर 1.16 करोड़ होने का अनुमान है। इनमें से 1.05 करोड़ लोगों का डेटा अब तक दर्ज किया जा चुका है।


सर्वेक्षण की प्रक्रिया में बदलाव

स्कूलों के खुलने से बदला प्लान

सर्वेक्षण के लिए पहले 65,000 शिक्षकों को गणनाकर्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। लेकिन स्कूलों के फिर से खुलने के कारण शिक्षकों को इस कार्य से मुक्त कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, कमिशन ने सर्वेक्षण को जारी रखने के लिए नया तरीका अपनाया है। अब यह सर्वेक्षण राज्य के 9,400 'नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों' जैसे 'कर्नाटक वन', 'बेंगलुरु वन', 'ग्राम वन' और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के 198 वार्ड कार्यालयों में आयोजित किया जाएगा.


जानकारी कैसे दें?

कैसे दे सकते हैं जानकारी?

सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए नागरिकों को अपने आधार कार्ड या राशन कार्ड की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, बापूजी सेवा केंद्रों पर भी डेटा जमा करने की सुविधा उपलब्ध है। ऑनलाइन स्व-घोषणा की समय सीमा भी 22 जून 2025 तक बढ़ा दी गई है। ऑनलाइन जानकारी जमा करने के लिए वेबसाइट का उपयोग किया जा सकता है।


विशेष शिविर और ऑनलाइन विकल्प

विशेष शिविर और ऑनलाइन विकल्प

कमिशन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं कि कोई भी परिवार सर्वेक्षण से छूट न जाए। इसके लिए 9 जून से 22 जून तक 'नागरिक केंद्रित सेवा केंद्रों' और बीबीएमपी वार्ड कार्यालयों में विशेष शिविर लगाए जाएंगे। जो लोग पहले चरण में शामिल नहीं हो पाए, वे इन शिविरों में अपनी जानकारी दे सकते हैं। साथ ही, ऑनलाइन स्व-घोषणा का विकल्प भी उपलब्ध है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो व्यक्तिगत रूप से शिविरों में नहीं पहुंच सकते।


आंतरिक आरक्षण का उद्देश्य

आंतरिक आरक्षण का मकसद

कर्नाटक सरकार ने 1 अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह सर्वेक्षण शुरू किया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के बीच आंतरिक आरक्षण लागू करने की अनुमति दी गई थी। यह सर्वेक्षण 101 एससी उप-जातियों के बीच 17% आरक्षण को और अधिक समान रूप से बांटने के लिए आवश्यक डेटा इकट्ठा करेगा। कुछ प्रभावशाली उप-जातियों के आरक्षण लाभ को हड़पने की शिकायतों के बाद यह कदम उठाया गया है.


चुनौतियां और समाधान

चुनौतियां और समाधान

सर्वेक्षण के दौरान कुछ चुनौतियां सामने आई हैं, जैसे कि उप-जाति की पहचान को लेकर भ्रम और कुछ लोगों का अपनी जानकारी देने में हिचकिचाना। उदाहरण के लिए, आदि कर्नाटक और आदि द्रविड़ जैसी उप-जातियों के नाम को लेकर भ्रम की स्थिति है, क्योंकि ये नाम अलग-अलग जिलों में अलग-अलग समुदायों द्वारा उपयोग किए जाते हैं.

कमिशन ने इस समस्या को हल करने के लिए गणनाकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया है, ताकि वे आधार कार्ड, राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेजों के जरिए जानकारी को सत्यापित कर सकें.