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कश्मीर में चिल्ला-ए-कलां की शुरुआत: सर्दी का प्रचंड दौर और बर्फबारी की संभावना

कश्मीर में चिल्ला-ए-कलां का आगाज़ हो चुका है, जो सर्दियों का सबसे कठोर और लंबा चरण है। इस दौरान तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगले सप्ताह घाटी में भारी बर्फबारी की संभावना है। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम चक्र में बदलाव भी देखा जा रहा है। पारंपरिक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है, और हरिसा जैसे व्यंजन सर्दियों में खास बन जाते हैं। जानें इस सर्दी के बारे में और क्या-क्या हो रहा है।
 

चिल्ला-ए-कलां का आगाज़


नई दिल्ली: कश्मीर में सर्दियों का सबसे कठोर और लंबा चरण चिल्ला-ए-कलां शुरू हो चुका है। यह 21-22 दिसंबर की रात से 40 दिनों की अवधि मानी जाती है, जब घाटी में ठंड अपने चरम पर पहुंच जाती है। पहले से ही ठिठुरती कश्मीर घाटी में अब लोगों की चिंता बढ़ गई है कि इस बार चिल्ला-ए-कलां कितनी कठोर होगी।


चिल्ला-ए-कलां का अर्थ

चिल्ला-ए-कलां एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ है प्रचंड ठंड। इस दौरान तापमान अक्सर शून्य से नीचे चला जाता है, जिससे जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मौसम विभाग और स्थानीय लोग अब आने वाले हफ्तों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि यही समय कश्मीर की सर्दी की दिशा निर्धारित करता है।


चिल्ला-ए-कलां की अवधि

यह अवधि लगभग 40 दिनों तक चलती है, जिसके बाद चिल्ले खुर्द और चिल्ले बच्चा का दौर आता है। आमतौर पर इस समय तापमान शून्य से 5-6 डिग्री नीचे गिर जाता है। इतिहास में सबसे अधिक ठंड 1986 में दर्ज की गई थी, जब तापमान शून्य से 9 डिग्री नीचे चला गया था और डल झील पूरी तरह से जम गई थी।


भारी बर्फबारी की संभावना

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले सप्ताह घाटी में भारी बर्फबारी की संभावना है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में मध्यम बारिश और हिमपात का पूर्वानुमान जताया है। अनुमान है कि अगले 40 दिनों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में लगातार गिरावट देखने को मिलेगी।


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि चिल्ला-ए-कलां के बजाय चिल्ले खुर्द और चिल्ले बच्चा के दौरान अधिक बर्फबारी हो रही है। विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानते हैं, जिससे पारंपरिक मौसम चक्र में बदलाव आ रहा है।


पारंपरिक तैयारियों की वापसी

पहले कश्मीरी परिवार चिल्ला-ए-कलां से पहले सब्जियां सुखाकर और आवश्यक सामान का भंडारण कर लेते थे। मौसम में बदलाव के कारण यह परंपरा कमजोर पड़ी थी, लेकिन अब एक बार फिर सूखी सब्जियों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है।


सर्दियों का खास व्यंजन: हरिसा

सर्दियों में धीमी आंच पर पकने वाला पारंपरिक व्यंजन हरिसा कश्मीर की पहचान बन जाता है। गोश्त, चावल और मसालों से तैयार यह व्यंजन शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। इसके अलावा सूखी सब्जियां और सूखी मछली भी सर्दियों के बाजारों में खूब बिक रही हैं।


बारिश और बर्फबारी का शुभ संकेत

रविवार से श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में हल्की बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में बारिश और बर्फबारी के और तेज होने का अनुमान जताया है। चिल्ला-ए-कलां के पहले दिन हुई बारिश और बर्फबारी को स्थानीय लोग शुभ संकेत मानते हैं और इसे अच्छी बर्फबारी का अग्रदूत समझते हैं।