कार्तिक पूर्णिमा: देव दीपावली और गुरु नानक जयंती का महत्व
कार्तिक माह की पूर्णिमा का महत्व
नई दिल्ली: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इसके बाद अगहन महीने की प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी। इस दिन देव दीपावली, गुरु नानक जयंती, पुष्कर स्नान और कार्तिक पूर्णिमा व्रत मनाए जाएंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 4 मिनट से 1 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
देव दीपावली का धार्मिक महत्व
देव दीपावली का उल्लेख शिव पुराण और पद्म पुराण में मिलता है। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके बाद देवताओं ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई थी।
इस दिन भोलेनाथ की स्तुति और राम भक्त हनुमान की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने से हनुमान भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
ज्योतिषीय उपाय और परंपराएं
ज्योतिष के अनुसार, देव दीपावली पर राहु-केतु, मंगल, गुरु, बुध और शनि ग्रहों से दोषों को दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा, घर में वास्तु दोष दूर करने और सुख समृद्धि पाने के लिए घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करना लाभकारी होता है।
कार्तिक माह को दामोदर मास भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान और चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। मान्यता है कि भगवान विष्णु मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं, इसलिए दीपदान किया जाता है।
गुरु नानक जयंती का उत्सव
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। इसे गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।
सिख समुदाय सुबह अमृत वेला में गुरुद्वारों में एकत्रित होकर कीर्तन, लंगर और नगर कीर्तन निकालते हैं। इसके साथ ही स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में विशेष आतिशबाजी और प्रकाश व्यवस्था होती है।