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किसानों का 19 अक्टूबर को बड़ा प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ रोष बढ़ा

किसानों ने 19 अक्टूबर को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है, जो उनकी समस्याओं और सरकार की अनदेखी के खिलाफ है। धरने पर बैठे किसान पिछले 92 दिनों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। किसान नेता सुरेश धनासरी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें केवल अपने स्वार्थ की रक्षा कर रही हैं। जानें इस प्रदर्शन के पीछे की वजहें और किसानों की समस्याएं।
 

किसानों का धरना 92 दिन पार, सरकार की अनदेखी पर नाराजगी


Charkhi Dadari News - संयुक्त किसान मोर्चा के तहत धरने पर बैठे किसानों ने 92 दिन पूरे कर लिए हैं। सरकार की ओर से उनकी समस्याओं की अनदेखी पर किसानों में गहरा रोष है। किसानों ने 19 अक्टूबर को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें वे सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाएंगे।


किसानों की समस्याएं और सरकार की नीतियां

किसान नेता कमल सिंह हड़ौदी और प्रताप हंसावास की अध्यक्षता में धरने को संबोधित करते हुए कांग्रेसी नेता सुरेश धनासरी ने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें केवल अपने स्वार्थ की रक्षा कर रही हैं। मंडियों में किसानों का शोषण हो रहा है और आढ़ती भी सरकार के इशारे पर खरीदारी को कम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक से लिए गए ऋण का बोझ भी किसानों पर डाला जा रहा है।


सरकार ने कृषि के लिए बड़ा बजट आवंटित किया है, लेकिन यह धन निजी कंपनियों के माध्यम से गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। मौजूदा सरकार कृषि व्यवस्था को कमजोर कर रही है, जो भविष्य के लिए उचित नहीं है।


किसानों का धरना और बकाया मुआवजा

किसान पिछले 91 दिनों से बकाया मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर हैं। उन्हें डीएपी और यूरिया के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, जबकि करोड़ों रुपये जमा करने के बावजूद उनके ट्यूबवेल का कनेक्शन नहीं मिल रहा है। सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है, जिससे किसान कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं।


किसानों ने 2023 के बकाया कपास बीमा क्लेम में लगभग 350 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है।


धरने में शामिल किसान नेता

धरने में कई किसान नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें श्योराण खाप अध्यक्ष बिजेंद्र बेरला, किसान सभा जिलाध्यक्ष रणधीर कुगड़, और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे।