कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का रंगारंग लोकनृत्य
कुरुक्षेत्र में लोकसंस्कृति का अद्भुत उत्सव
कुरुक्षेत्र (Kurukshetra Gita Mahotsav Folk Dance): अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में लोकसंस्कृति की एक अनोखी झलक देखने को मिली। लखनऊ (उत्तर प्रदेश) से आई निधि श्रीवास्तव के नेतृत्व में 13 कलाकारों की टीम ने नकटा और अवध की होली लोकनृत्य का प्रदर्शन किया, जिसने दर्शकों का दिल जीत लिया।
नकटा नृत्य: औरतों की भावनाओं का प्रदर्शन
निधि श्रीवास्तव के नेतृत्व में प्रस्तुत नकटा लोकनृत्य ने महिलाओं के जीवन के अनकहे पहलुओं को सहजता से दर्शाया। पुराने समय में जब पुरुष बारात में जाते थे, तो घर में रहने वाली महिलाएं आपस में सुख-दुख, तंज-मजाक और घरेलू रिश्तों की बातें साझा करती थीं।
इन भावनाओं को इस लोकनृत्य के माध्यम से जीवंतता से प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शक रोमांचित हो उठे। कलाकारों ने रोजमर्रा की चर्चाओं को इस तरह पेश किया कि दर्शक खुद को उस समय और समाज का हिस्सा महसूस करने लगे।
निधि ने बताया कि वे विभिन्न गांवों और शहरों से लोकनृत्य की परंपराओं को संजोकर यहां लाई हैं, ताकि यह सांस्कृतिक विरासत नई पीढ़ी तक पहुंचे। उनका उद्देश्य पर्यटकों का मनोरंजन करना और संस्कृति से परिचित कराना है।
उनकी टीम 18 नवंबर तक मानरा नृत्य और अवध की होली की विविध प्रस्तुतियां करेगी। हर प्रस्तुति के साथ दर्शकों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। महोत्सव में आए पर्यटकों ने कहा कि नकटा नृत्य की भोली-मीठी अदाएं और संवादों की जीवंतता इस कार्यक्रम को खास बनाती हैं।
अवध की होली का अद्भुत संगम
अवध की होली की प्रस्तुति ने महोत्सव में चार चांद लगा दिए। लखनऊ से आए कलाकारों ने पारंपरिक लोकधुनों और राम-भक्ति से भरे गीतों के साथ देहाती अंदाज की होली का ऐसा प्रदर्शन किया कि पूरा पंडाल थिरक उठा।
ढोलक, मंजीरा और लोकगीतों की ताल पर दर्शक मंत्रमुग्ध रहे। रंगों, रसों और नटखट अदाओं से भरी प्रस्तुति ने दर्शकों को अवध की संस्कृति की असली खुशबू से परिचित कराया। कलाकारों की वेशभूषा, अभिव्यक्ति की स्पष्टता और लय की सटीकता ने माहौल को उत्सवमयी बना दिया।