क्या 2026 में संसद से गायब हो जाएगी BSP? जानें पार्टी की राजनीतिक चुनौतियाँ
उत्तर प्रदेश में BSP की स्थिति
उत्तर प्रदेश: बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है, लेकिन 2026 में पहली बार यह संभव है कि पार्टी का संसद में कोई सदस्य न हो। यह स्थिति BSP के लिए एक गंभीर राजनीतिक चुनौती बन गई है, क्योंकि न केवल लोकसभा में उसकी सीटें शून्य हो गई हैं, बल्कि आगामी राज्यसभा चुनाव में भी उसका प्रतिनिधित्व समाप्त होता दिख रहा है, जिससे उसकी संसद में आवाज़ लगभग समाप्त हो जाएगी।
रामजी गौतम का कार्यकाल समाप्ति
बसपा के एकमात्र सांसद रामजी गौतम का राज्यसभा में कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है। 2019 में बीजेपी के समर्थन से चुने गए रामजी गौतम का छह साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्टी का संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा। यह बसपा के इतिहास में पहली बार होगा जब उसकी संसद में कोई उपस्थिति नहीं होगी।
बसपा की घटती राजनीतिक हैसियत
बीएसपी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक समय प्रमुख दल रही है, लेकिन हाल के चुनावों में उसके प्रदर्शन में गिरावट आई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को कोई सीट नहीं मिली, जिससे उसकी संसद में उपस्थिति पहले ही समाप्त हो गई थी। रामजी गौतम के कार्यकाल समाप्त होने से अब बसपा की राजनीतिक स्थिति और भी कमजोर हो जाएगी।
राज्यसभा चुनावों का परिदृश्य
2026 में देशभर में राज्यसभा की लगभग 75 सीटों पर चुनाव होंगे, जिनमें उत्तर प्रदेश से 10 सीटें खाली होंगी। इन चुनावों में एनडीए और विपक्ष के बीच शक्ति संतुलन बदल सकता है। वर्तमान में यूपी विधानसभा में बसपा के पास केवल एक विधायक है, जिससे राज्यसभा की सीट जीतना उसके लिए बेहद कठिन होगा।
राज्यसभा में एनडीए के पास 129 सीटें हैं, जबकि विपक्ष के पास 78 सीटें हैं। आगामी चुनावों के परिणाम यह तय करेंगे कि उच्च सदन में किस गठबंधन का दबदबा रहेगा। इस स्थिति में बसपा जैसे छोटे दल के लिए अपनी स्थिति बनाए रखना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
बिना संसद, BSP का भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व समाप्त होने से BSP की राष्ट्रीय राजनीति में आवाज़ कमजोर हो जाएगी। पार्टी को 2027 या उसके बाद होने वाले चुनावों में अपनी स्थिति को फिर से मजबूत करना होगा, अन्यथा वह लंबे समय तक संसद में अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाएगी।