क्या उद्धव और राज ठाकरे का गठबंधन होगा? बीएमसी चुनावों में सियासी हलचल तेज
महाराष्ट्र की राजनीति में उठते सवाल
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में 'ब्रांड ठाकरे' को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में हुए 288 नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के परिणामों ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों के लिए एक बड़ा झटका दिया है। इन नतीजों के बाद बीएमसी और 29 नगर निगम चुनावों के लिए दोनों भाइयों के एकजुट होने की चर्चा तेज हुई थी, लेकिन गठबंधन की घोषणा से पहले ही स्थिति में संशय उत्पन्न हो गया है।
गठबंधन की घोषणा में देरी
सूत्रों के अनुसार, शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच औपचारिक गठबंधन की घोषणा मंगलवार को टल गई। पहले यह माना जा रहा था कि 'ठाकरे ब्रदर्स' 20 साल पुरानी राजनीतिक प्रतिकूलता को समाप्त कर बीएमसी चुनाव में एकजुट होकर ताकत दिखाएंगे, लेकिन अंतिम क्षणों में स्थिति बदल गई।
नगर परिषद चुनावों का प्रभाव
2019 में बीजेपी से अलग होकर मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे ने सत्ता में आने के बावजूद 'ब्रांड ठाकरे' को मजबूत बनाए रखने में असफलता दिखाई है। एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा और नगर परिषद चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है, जिससे उद्धव ठाकरे की राजनीतिक स्थिति संकट में आ गई है।
महाराष्ट्र की 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत चुनावों में 70 प्रतिशत से अधिक नगराध्यक्ष बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति के खाते में गए। शिवसेना (यूबीटी) का प्रदर्शन एकल अंक तक सीमित रह गया, जबकि राज ठाकरे की मनसे को कोई जीत नहीं मिली।
बीएमसी चुनाव की अहमियत
बीएमसी और 29 नगर निगम चुनाव अब उद्धव ठाकरे के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गए हैं। पिछले तीन दशकों से मुंबई महानगरपालिका पर ठाकरे परिवार का वर्चस्व रहा है। इस 'आखिरी किले' को बचाने के लिए उद्धव और राज ठाकरे एकजुट होने के लिए तैयार हुए थे, लेकिन गठबंधन की घोषणा में देरी ने राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत
बीएमसी और राज्य की 29 नगर निगमों के लिए मंगलवार से अधिसूचना जारी की जा रही है। इसके साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू होगी। नामांकन की अंतिम तिथि 30 दिसंबर है, जबकि 31 दिसंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 2 जनवरी 2026 तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। मतदान 15 जनवरी को होगा और नतीजे 16 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।
गठबंधन पर अनिश्चितता
बीजेपी ने बीएमसी और अन्य नगर निगम चुनाव एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर लड़ने का निर्णय लिया है। इसी के जवाब में 'ठाकरे ब्रदर्स' ने एकजुट होने का निर्णय लिया था ताकि मराठी वोटों का बंटवारा रोका जा सके।
सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन चुकी थी और मंगलवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए गठबंधन की घोषणा होने वाली थी। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखी जा रही थी, लेकिन इसे अंतिम समय में टाल दिया गया।
उद्धव ठाकरे की राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई
महाराष्ट्र की राजनीति में बीएमसी का नियंत्रण सत्ता के समान माना जाता है। बीजेपी लंबे समय से ठाकरे परिवार के इस वर्चस्व को समाप्त करने की कोशिश कर रही है। उद्धव ठाकरे के लिए बीएमसी चुनाव केवल एक नगर निकाय का चुनाव नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व और विरासत की लड़ाई बन चुका है।
बीएमसी का बजट कई छोटे राज्यों से भी अधिक है और यही आर्थिक ताकत शिवसेना के संगठनात्मक नेटवर्क की रीढ़ रही है। ऐसे में उद्धव और राज ठाकरे का एक साथ आना 'ब्रांड ठाकरे' को बचाने की अंतिम कोशिश मानी जा रही है। अब देखना होगा कि यह एकता वास्तविकता में कैसे उतरती है।