क्या काशी और मथुरा के विवाद पर नजर रख रही है योगी सरकार? जानें मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान
उत्तर प्रदेश : अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद, काशी और मथुरा के धार्मिक विवाद एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछा गया कि क्या सरकार इन दोनों स्थानों पर ध्यान दे रही है, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "हम हर जगह पहुँच चुके हैं और आगे भी पहुँचेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि किसी समाज के लिए अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और वर्तमान प्रयास इसी भावना से प्रेरित हैं।
अयोध्या फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया
अयोध्या फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया
योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर से संबंधित निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यायालय ने तथ्यों और साक्ष्यों का गहन अध्ययन कर सर्वसम्मति से जो आदेश दिया, उसे पूरे देश ने स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि विवादित ढांचे के हटने का दिन देश की मनोवैज्ञानिक पीड़ा को समाप्त करने वाला क्षण था।
शिलान्यास और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में श्रद्धालुओं की भीड़
शिलान्यास और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में करोड़ों श्रद्धालु पहुंचे
योगी ने बताया कि शिलान्यास और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद से अयोध्या में करोड़ों श्रद्धालु आए हैं। त्योहारों के दौरान यहाँ आने वालों की संख्या चालीस लाख तक पहुँच जाती है, जबकि सामान्य दिनों में भी बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। योगी के अनुसार, यह परिवर्तन भविष्य की पीढ़ियों के लिए देश के विकास और सांस्कृतिक पहचान का नया मानक प्रस्तुत करता है।
काशी और मथुरा विवाद का कानूनी पहलू
काशी और मथुरा विवाद पर कानूनी संदर्भ
मथुरा में विवाद उस शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है, जो कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है। हिंदू पक्षकारों का कहना है कि यह मस्जिद मुगल शासक औरंगज़ेब द्वारा 17वीं सदी में एक प्राचीन मंदिर को गिराने के बाद बनाई गई थी। वहीं, काशी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मामला लंबे समय से अदालत में विचाराधीन है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यहाँ सर्वेक्षण किया था, जिसमें इस परिसर में पहले एक हिंदू मंदिर होने के संकेत मिले। दोनों मामलों की सुनवाई अभी भी न्यायिक प्रक्रिया में है और उनके अंतिम निर्णय का इंतजार है।