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क्या केरल की राजनीति में भाजपा की मेयर जीत ने बदल दी तस्वीर? जानें वी.वी. राजेश की कहानी

तिरुवनंतपुरम में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार मेयर पद पर जीत हासिल की है, जिससे केरल की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। वी.वी. राजेश को मेयर चुना गया है, जिन्होंने 51 मत प्राप्त किए। इस जीत ने वाम दलों के लंबे समय से चले आ रहे वर्चस्व को चुनौती दी है। भाजपा का मानना है कि यह सफलता राज्य की शहरी राजनीति में एक नए युग की शुरुआत है। जानें इस जीत के पीछे के संकेत और आगामी विधानसभा चुनावों पर इसके प्रभाव के बारे में।
 

केरल में भाजपा की ऐतिहासिक जीत


केरल : दक्षिण भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। तिरुवनंतपुरम में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार मेयर पद पर जीत हासिल की है। यह न केवल नगर निगम की राजनीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि राज्य की राजनीति में भी इसे एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है। वाम दलों के लंबे समय से चले आ रहे वर्चस्व को चुनौती देते हुए भाजपा की यह सफलता कई नए संकेत दे रही है।


वी.वी. राजेश बने पहले भाजपा मेयर

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2025 को हुए मेयर चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता वी.वी. राजेश को तिरुवनंतपुरम नगर निगम का मेयर चुना गया। 45 वर्षीय राजेश ने कुल 51 मत प्राप्त किए। उन्हें एक निर्दलीय पार्षद एम. राधाकृष्णन का समर्थन भी मिला, जबकि एक अन्य निर्दलीय सदस्य ने मतदान से दूरी बनाए रखी। सदन में मौजूद 100 पार्षदों में बहुमत हासिल कर राजेश ने जीत दर्ज की।


विपक्ष को मिला सीमित समर्थन

मेयर पद की दौड़ में सीपीएम के उम्मीदवार आर.पी. शिवाजी को 29 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के प्रत्याशी के.एस. सबरिनाथन को 19 मतों से संतोष करना पड़ा। यह परिणाम दर्शाता है कि नगर निगम में विपक्षी दलों का समर्थन बिखरा हुआ रहा, जिसका लाभ भाजपा को मिला।


नगर निगम चुनावों में भाजपा का मजबूत प्रदर्शन

दिसंबर की शुरुआत में हुए तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनावों में भाजपा ने 101 में से 50 वार्डों में जीत हासिल की थी। यह प्रदर्शन अपने आप में असाधारण था, क्योंकि अब तक इस नगर निगम पर वाम दलों का दबदबा रहा है। मेयर चुनाव में निर्दलीय समर्थन मिलने के बाद भाजपा बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रही।


पद संभालते ही विकास का भरोसा

मेयर पद ग्रहण करने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में वी.वी. राजेश ने समावेशी विकास का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि नगर निगम के सभी 101 वार्डों में समान रूप से विकास कार्य किए जाएंगे और तिरुवनंतपुरम को एक आधुनिक और विकसित शहर के रूप में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने सभी दलों और नागरिकों को साथ लेकर चलने की बात कही।


विधानसभा चुनाव से पहले अहम संकेत

राजेश की यह जीत ऐसे समय में हुई है, जब राज्य में आगामी छह महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। केरल में भाजपा को अब तक सीमित सफलता ही मिली है। वर्ष 2016 में पार्टी को केवल एक विधानसभा सीट मिली थी, जब ओ. राजगोपाल ने नेमोम सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2024 में अभिनेता सुरेश गोपी ने त्रिशूर से लोकसभा चुनाव जीतकर भाजपा को संसदीय सफलता दिलाई थी।


45 साल बाद टूटा सीपीएम का गढ़

तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर पिछले 45 वर्षों से सीपीएम का नियंत्रण रहा है। भाजपा की यह जीत उस लंबे वाम शासन को समाप्त करती है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह परिणाम केरल की शहरी राजनीति में मतदाताओं के बदलते रुझान को दर्शाता है और भाजपा के लिए एक मनोवैज्ञानिक बढ़त भी प्रदान करता है।


भाजपा नेतृत्व का तीखा हमला

शपथ ग्रहण समारोह के बाद केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने वाम दलों और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इन दलों ने मिलकर शहर के विकास को बाधित किया और नगर निगम भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया था। उनके अनुसार, वर्षों से ड्रेनेज, पेयजल और कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी समस्याओं की अनदेखी की गई।


तिरुवनंतपुरम को शीर्ष शहर बनाने का लक्ष्य

राजीव चंद्रशेखर ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं है, बल्कि तिरुवनंतपुरम को देश के शीर्ष तीन शहरों में शामिल करना है। उन्होंने कहा कि यह जीत एक नई शुरुआत है और अब पार्टी जमीन पर ठोस काम करके जनता का भरोसा जीतने की कोशिश करेगी।


शहरी राजनीति में बदलाव का संकेत

भाजपा का मानना है कि यह सफलता केरल की शहरी राजनीति में एक नए युग की शुरुआत है। आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह जीत पार्टी के लिए रणनीतिक और राजनीतिक दोनों दृष्टियों से बेहद अहम मानी जा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम में भाजपा का प्रदर्शन राज्य स्तर पर कितनी राजनीतिक मजबूती दिला पाता है।