क्या हरियाणा अपनाएगा पंजाब का किसान हितैषी मॉडल? केजरीवाल और मान की चर्चा ने बढ़ाई उम्मीदें
हरियाणा विधानसभा में किसानों के हक की चर्चा
चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में चर्चा का विषय पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार की एक ऐसी नीति बनी, जिसने किसानों को सीधे लाभ पहुंचाया है। 'जिसका खेत, उसकी रेत' नामक यह नीति अब हरियाणा की राजनीति में भी सुनाई देने लगी है।
अनुराग ढांडा ने साझा किया वीडियो
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने हरियाणा विधानसभा के सत्र का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि पंजाब की सरकार की नीतियों की गूंज हरियाणा विधानसभा में सुनाई दी।
उन्होंने यह भी बताया कि कई नेताओं ने विधानसभा में मांग की कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किसानों की सहायता के लिए लागू की गई 'जिसका खेत, उसकी रेत' नीति को हरियाणा में भी लागू किया जाना चाहिए।
अरविंद केजरीवाल ने गर्व व्यक्त किया
इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह गर्व की बात है कि हरियाणा विधानसभा में पंजाब की सरकार के जनहितकारी कार्यों की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि भगवंत मान की सरकार की नीति ने किसानों को उनका हक दिलाया और रेत माफिया पर नियंत्रण पाया। केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि अच्छी नीतियां सीमाओं को नहीं देखतीं और अब अन्य राज्य भी पंजाब के मॉडल को अपनाने की बात कर रहे हैं।
सीएम मान की प्रतिक्रिया
अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी रीट्वीट किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पंजाब सरकार अपने किसान हितैषी निर्णयों पर पूरी तरह से आश्वस्त है और इसे देश के सामने एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर रही है।
पंजाब में बाढ़ के बाद खेतों में जमा रेत को किसानों की संपत्ति मानते हुए सरकार ने उन्हें इसे हटाने और बेचने की अनुमति दी। इससे किसानों को अपने खेत साफ करने, फसल की तैयारी करने और अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद मिली। इस नीति के कारण रेत की कीमतों में 30-35 प्रतिशत तक की कमी आई और अवैध खनन पर भी नियंत्रण पाया गया। सरकार द्वारा मशीनरी उपलब्ध कराना यह दर्शाता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार केवल घोषणाएं नहीं करती, बल्कि वास्तविकता में काम करती है।
भाजपा किसानों को राहत नहीं देना चाहती
वहीं, हरियाणा में स्थिति भिन्न है। यमुनानगर, अंबाला, करनाल, पानीपत, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जैसे जिलों में बाढ़ के कारण खेतों में भारी मात्रा में रेत और गाद जमा है। दिसंबर 2025 तक भी कई खेत खेती के लिए उपयुक्त नहीं बन पाए हैं और किसान रबी की बुआई में पीछे रह गए हैं। इसके बावजूद भाजपा सरकार नियमों का हवाला देकर किसानों को राहत देने से बचती नजर आ रही है।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि जब पंजाब सरकार समाधान निकाल सकती है, तो हरियाणा सरकार क्यों नहीं? यह मुद्दा अब केवल राजनीति का नहीं, बल्कि किसानों के अधिकार और सम्मान का बन चुका है। पंजाब मॉडल ने साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो प्राकृतिक आपदा के समय भी किसानों को मजबूत किया जा सकता है।
हरियाणा विधानसभा में उठी इस मांग और केजरीवाल व भगवंत मान की प्रतिक्रिया ने स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार की किसान हितैषी नीतियां अब अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शन कर रही हैं। सवाल यह है कि क्या हरियाणा की भाजपा सरकार इस जनभावना को समझेगी या किसानों को इंतजार करवाती रहेगी।