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गुजरात में किसानों के लिए राहत: ₹10,000 करोड़ का पैकेज घोषित

गुजरात के किसानों के लिए राहत की एक बड़ी खबर आई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हाल ही में असमय बारिश से प्रभावित किसानों के लिए ₹10,000 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया है। यह कदम पिछले 20 वर्षों में हुई सबसे गंभीर वर्षा के मद्देनज़र उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने किसानों की स्थिति को समझने के लिए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और उनकी मदद के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जताई। इसके साथ ही, मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शुरू करने की भी घोषणा की गई है।
 

गुजरात में असमय बारिश से प्रभावित किसानों के लिए राहत

गांधीनगर: गुजरात के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की सूचना आई है। हाल ही में राज्य में हुई असमय बारिश ने फसलों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है, जिसके चलते मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शुक्रवार को ₹10,000 करोड़ का राहत पैकेज की घोषणा की। यह निर्णय पिछले 20 वर्षों में राज्य में हुई सबसे गंभीर असामयिक वर्षा के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।


मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, "गुजरात में इस वर्ष पिछले 20 सालों में सबसे अधिक असामयिक वर्षा हुई है, जिससे कई जिलों में किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। मैंने और मेरे मंत्रीमंडल के सदस्यों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है और किसानों की स्थिति को समझा है।"


सरकार की प्रतिबद्धता

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस प्राकृतिक आपदा के समय में किसानों के साथ खड़ी है और हर संभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। "किसानों को हुए व्यापक नुकसान को देखते हुए, मैं गुजरात सरकार की ओर से लगभग ₹10,000 करोड़ का राहत पैकेज घोषित कर रहा हूं," उन्होंने कहा।


खरीद प्रक्रिया की घोषणा

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार 9 नवंबर से किसानों से मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन की ₹15,000 करोड़ से अधिक की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू करेगी।


किसानों की समृद्धि पर जोर

भूपेंद्र पटेल ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार ने हमेशा किसानों के आर्थिक कल्याण को प्राथमिकता दी है और आगे भी देती रहेगी। "गुजरात के किसान राज्य की आत्मा हैं और उनकी समृद्धि हमारी प्राथमिकता है," उन्होंने कहा।


विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि यह राहत पैकेज न केवल किसानों के नुकसान की भरपाई में मदद करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नई ऊर्जा का संचार करेगा।