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गुरुग्राम में आईएनएस अरावली: हरियाणा का पहला नेवी बेस तैयार

गुरुग्राम में आईएनएस अरावली, हरियाणा का पहला नेवी बेस, आज उद्घाटन के लिए तैयार है। यह एआई आधारित बेस भारत की हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा और चीन के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा। उद्घाटन समारोह में नौसेना प्रमुख की उपस्थिति होगी। यह बेस समुद्र में जहाजों की लोकेशन और मूवमेंट की जानकारी तुरंत उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा, यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी सुनिश्चित करेगा।
 

भारत की समुद्री सुरक्षा को नया आयाम


गुरुग्राम: हरियाणा में आईएनएस अरावली, जो कि राज्य का पहला नेवी बेस है, अब पूरी तरह से तैयार है। इसका उद्घाटन आज कुछ ही समय में किया जाएगा। यह एआई आधारित नेवी बेस भारत की हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करेगा। यह कदम चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।


समुद्री सुरक्षा में वृद्धि

चीन हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में भारत ने अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आज इसे औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया जाएगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी करेंगे। यह बेस समुद्र में मौजूद हर जहाज की लोकेशन और मूवमेंट का डेटा तुरंत नेवी को उपलब्ध कराएगा।


सूचना और संचार नेटवर्क में सुधार

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह बेस विशेष रूप से कम्युनिकेशन, कंट्रोल और मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस के लिए डिज़ाइन किया गया है। आईएनएस अरावली के शुरू होने के बाद, हिंद महासागर में दुश्मन देशों की गतिविधियों की रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी।


एआई तकनीक का उपयोग

आईएनएस अरावली की एक प्रमुख विशेषता यह है कि जैसे ही किसी खतरे का संकेत मिलेगा, जानकारी तुरंत नेवी के कमांड सेंटर तक पहुंचाई जाएगी। इससे दुश्मन को त्वरित प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।


इस नेवी बेस में आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और बिग डेटा एनालिसिस सिस्टम का उपयोग किया गया है, जिससे यह तुरंत पहचान सकेगा कि कौन सा जहाज मित्र देश का है और कौन संदिग्ध है। इसके अलावा, यह समुद्र में होने वाली अवैध गतिविधियों को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


आपात स्थिति में अंतरराष्ट्रीय सहयोग

आईएनएस अरावली पर 25 देशों के 43 मल्टीनेशनल सेंटर से लगातार लाइव फीड प्राप्त होती रहेगी। इस फीड के माध्यम से न केवल भारतीय नेवी को जानकारी मिलेगी, बल्कि किसी आपात स्थिति में अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी तुरंत प्राप्त होगा। अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देश इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।