गुहला-चीका में बाढ़ से किसानों को हुआ भारी नुकसान, मुआवजे की मांग
गुहला-चीका में बाढ़ का असर
कैथल समाचार : गुहला-चीका क्षेत्र में इस बार बाढ़ नहीं आई, लेकिन मारकंडा और घग्गर नदियों के उफान ने किसानों की उम्मीदों को बुरी तरह प्रभावित किया। खेतों में भरा पानी फसलों को नष्ट कर गया, जिससे किसानों के सपने चूर-चूर हो गए। कुछ किसान नए घर बनाने का सपना देख रहे थे, तो कुछ अपने बच्चों को विदेश भेजने की योजना बना रहे थे। कई ने कर्ज चुकाने की उम्मीद की थी, लेकिन जलभराव ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
किसानों को हुआ लाखों का नुकसान
लाखों का नुकसान, मुआवजे की आस
किसानों का कहना है कि एक एकड़ खेत तैयार करने में 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है। कई किसानों ने तो 70 से 80 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से खेत किराए पर लिए थे। अब इस जलभराव ने उनकी आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। किसान सरकार से प्रति एकड़ 50 से 55 हजार रुपये मुआवजे की मांग कर रहे हैं और भविष्य में घग्गर नदी के स्थायी समाधान की भी अपील कर रहे हैं। भागल, भूसला, बाऊपुर, डंडोता, रत्ताखेड़ा, लुकमान, सरोला, भाटियां, मोहनपुर, स्ताखेड़ा, कड़ाम, पपराला, सिहाली, मँगड़ा, भूना, पीडल जैसे 30 से अधिक गांवों में फसलें जलमग्न हो गई हैं। भागल गांव में तो अभी भी सैकड़ों एकड़ धान की फसलें 2-2 फीट पानी में डूबी हुई हैं।
मुआवजे के लिए दावे
मुआवजा पोर्टल पर दावे
गुहला-चीका के 90 गांवों के 4085 किसानों ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 32,289 एकड़ में नुकसान का दावा किया है। लेकिन स्थिति इतनी गंभीर है कि किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि राजस्व विभाग ने अभी तक गिरदावरी की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। किसान परेशान हैं और सरकार से जल्द मदद की गुहार कर रहे हैं।
किसानों की पीड़ा
किसानों की जुबानी: “सपने टूटे, कर्ज का बोझ बढ़ा”
बाऊपुर के हरभजन सिंह ने बताया कि उनकी 6.5 एकड़ फसल जलभराव से बर्बाद हो गई। फसल की जड़ें सड़ गईं, और तेली बीमारी ने बाकी कसर पूरी कर दी। अब उनकी फसल 90% तक खराब हो चुकी है। वे कहते हैं, “सरकार जल्द मुआवजा दे, और घग्गर का स्थायी समाधान करे।”
कुलजीत सिंह ने भी अपनी समस्या साझा की। उनकी 7 एकड़ धान की फसल खराब हो गई। उनकी बहन की शादी होने वाली है, और फसल से कमाई की उम्मीद थी ताकि कर्ज न लेना पड़े। लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया।
कंवलजीत का सपना था कि फसल बेचकर नया घर बनाएंगे, लेकिन उनकी 6 एकड़ फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। वहीं, रामफल पूनिया ने बताया कि उनकी 25 एकड़ फसल पानी में डूब गई। छह महीने पहले आढ़ती से कर्ज लेकर बेटे को विदेश भेजा था, लेकिन अब कर्ज चुकाने की कोई राह नहीं बची।
भागल गांव के सरपंच सुदेश कुमार शर्मा ने बताया कि उनके गांव में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। मारकंडा का पानी अभी भी कम नहीं हुआ। किसान आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुके हैं। हर कोई कर्ज में डूबा है। वे कहते हैं, “सरकार से अपील है कि जल्द गिरदावरी करवाकर मुआवजा दे।”
मुआवजे के लिए आवश्यक कदम
मुआवजे के लिए जरूरी कदम
एसडीएम गुहला-चीका कैप्टन प्रमेश सिंह ने बताया कि कई जगहों पर अभी भी पानी भरा है। किसानों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 15 सितंबर तक नुकसान का दावा दर्ज करना होगा। इसके बाद ही मुआवजा मिलेगा। गिरदावरी की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी, और टीमें खेतों में जाकर नुकसान का जायजा लेंगी।