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चिलिका झील में बवंडर का कहर: पर्यटकों में दहशत, लेकिन कोई जनहानि नहीं

ओडिशा की चिलिका झील में शुक्रवार को एक विशाल बवंडर ने पर्यटकों और मछुआरों के बीच दहशत फैला दी। हालांकि, इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि या संपत्ति के नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है। बवंडर के निर्माण के पीछे बारिश और मौसम में अचानक बदलाव का हाथ था। स्थानीय मछुआरों की सतर्कता ने उन्हें सुरक्षित रखा। जानें इस घटना के बारे में और विशेषज्ञों की राय क्या है।
 

ओडिशा में बवंडर की अनोखी घटना


ओडिशा बवंडर 2025: शुक्रवार को ओडिशा की चिलिका झील ने एक अप्रत्याशित प्राकृतिक घटना का सामना किया, जब झील के बीच अचानक एक विशाल बवंडर उत्पन्न हुआ। यह घटना कृष्णप्रसाद ब्लॉक के कालीजई क्षेत्र में हुई, जिसने पर्यटकों और स्थानीय मछुआरों के बीच भय का माहौल बना दिया। हालांकि, राहत की बात यह है कि किसी भी प्रकार की जनहानि या संपत्ति के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।


बारिश के बाद बवंडर का निर्माण

बारिश के बाद बना बवंडर, दोहराया इतिहास
मौसम में अचानक बदलाव और बारिश के तुरंत बाद यह बवंडर उत्पन्न हुआ। चिलिका में इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं देखी गई हैं। 2020 में एक बवंडर ने गाम्भारी क्षेत्र में भारी नुकसान पहुँचाया था, जिसमें कई नावें और मकान नष्ट हो गए थे। लेकिन इस बार की घटना, भयावह होने के बावजूद, किसी विनाश का कारण नहीं बनी।


प्रत्यक्षदर्शियों के अनुभव

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया खौफनाक अनुभव
घटना के समय वहां मौजूद पर्यटकों ने बताया कि बवंडर झील के बीचोंबीच बनते हुए ऊपर की ओर उठा और फिर धीरे-धीरे समाप्त हो गया। कालीजई मंदिर के पास कुछ पर्यटकों ने इसे 'हाथी की सूंड' जैसा बताया और कहा कि यदि यह किनारे के करीब बनता तो बड़ा हादसा हो सकता था।


मछुआरों की सतर्कता

मछुआरों की सतर्कता बनी रक्षा कवच
स्थानीय मछुआरों ने बताया कि वे मौसम में हल्का सा भी बदलाव आते ही सतर्क हो जाते हैं और झील से बाहर आ जाते हैं। यही सतर्कता इस बार उनके लिए सुरक्षा का कवच बन गई। मछुआरों ने कहा कि बवंडर ने लगभग 15 किलोमीटर के क्षेत्र में प्रभाव डाला और इसके साथ तेज बारिश भी हुई, जिससे दृश्य और भी भयावह हो गया।


क्षति का कोई संकेत नहीं

दहशत तो फैली, पर क्षति नहीं
इस प्राकृतिक घटना ने क्षेत्र में अफरातफरी तो मचाई, लेकिन कोई जनहानि नहीं हुई। स्थानीय प्रशासन ने भी पुष्टि की है कि न कोई जान का नुकसान हुआ है और न ही संपत्ति का। इसके बावजूद, यह घटना चिलिका झील के बदलते मौसमीय व्यवहार पर चिंता जताने का कारण बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में भविष्य में मौसम की निगरानी और अधिक सतर्कता के साथ की जानी चाहिए। यह घटना प्राकृतिक आपदाओं की अनिश्चितता और मानव सतर्कता के बीच संतुलन का एक उदाहरण है, जहां समय पर प्रतिक्रिया ने संभावित खतरे को टाल दिया।