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छिंदवाड़ा में बच्चों की रहस्यमयी मौतें: कफ सिरप पर लगा प्रतिबंध

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने के बाद छह बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद कलेक्टर ने दो कफ सिरप ब्रांड की बिक्री पर रोक लगा दी है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में किडनी फेल होने के लक्षण देखे गए हैं। इस रहस्यमयी बीमारी के कारणों की जांच जारी है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सावधानियों के बारे में।
 

छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत का मामला

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से एक चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसमें छह बच्चों की मौत कथित तौर पर कफ सिरप के सेवन के बाद हुई। बायोप्सी और चिकित्सा परीक्षणों से यह स्पष्ट हुआ कि बच्चों की किडनी फेल हो गई थी। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, छिंदवाड़ा के कलेक्टर ने तुरंत दो कफ सिरप ब्रांड, कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस, की बिक्री पर रोक लगा दी है.


रहस्यमयी बीमारी का कारण

परासिया क्षेत्र में फैल रही इस रहस्यमयी बीमारी के संबंध में वायरोलॉजिकल लैब में किए गए परीक्षणों से पता चला है कि किडनी फेल होने का कारण कई एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन हो सकता है। पिछले एक महीने में छह से अधिक बच्चों की जान जा चुकी है.


डॉक्टरों की प्रतिक्रिया

छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ, दीपक पटेल, ने बताया कि बच्चों में बुखार के साथ पेशाब बंद होने जैसे गंभीर लक्षण देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश बच्चों को नागपुर में डायलिसिस के लिए भेजा गया है। अब तक छह बच्चों की मौत हो चुकी है और सात से आठ अन्य बच्चों का इलाज जारी है. हाल ही में एक और बच्चा किडनी फेल होने के कारण रेफर किया गया है. पटेल ने कहा कि बीमारी का सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.


मामले का सिलसिला

सितंबर की शुरुआत में परासिया, उमरेठ, जाटाछापर, बरकुही और आसपास के गांवों में बच्चों में सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायतें बढ़ने लगीं। परिजनों ने बच्चों का इलाज कराने के लिए स्थानीय डॉक्टरों और मेडिकल दुकानों से कफ सिरप खरीदना शुरू किया। कुछ ही दिनों में बच्चों की स्थिति बिगड़ने लगी, पेशाब बंद हो गया और वे कमजोर होते गए। परिजनों ने उन्हें परासिया और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती कराया, लेकिन फिर भी छह बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी.


कलेक्टर का बयान और दिशा-निर्देश

छिंदवाड़ा के कलेक्टर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि पहली मौत 4 सितंबर को हुई थी और 26 सितंबर तक कुल छह बच्चों की जान चली गई। उन्होंने सभी नमूनों की जांच करवाई, जिसमें जापानी इंसेफेलाइटिस और अन्य वायरल संक्रमण की संभावना को खारिज किया गया। कलेक्टर ने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास न ले जाएं और बिना पर्चे वाली दवाइयां न दें.


जागरूकता और सावधानी

1. बच्चों को बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाइयां न दें.


2. सर्दी-खांसी होने पर तुरंत सरकारी अस्पताल जाएं.


3. हर छह घंटे में सुनिश्चित करें कि बच्चा पेशाब कर रहा है.


4. उल्टी या सुस्ती दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.


5. बच्चों को पर्याप्त पानी पिलाएं.


6. बुखार दो दिन से अधिक समय तक रहे तो तत्काल चिकित्सा लें.