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जर्मनी की युद्ध तैयारी: रूस के खतरे से निपटने की रणनीति

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने जर्मनी को युद्ध की तैयारी करने पर मजबूर कर दिया है। जर्मनी अब बंकरों और सुरंगों का निर्माण कर रहा है, क्योंकि उसे डर है कि रूस भविष्य में उस पर भी हमला कर सकता है। जर्मन सरकार ने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और नए बंकरों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। जानें जर्मनी की सुरक्षा रणनीति और इसके पीछे के कारण।
 

युद्ध की स्थिति और जर्मनी की तैयारी

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई अब केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं रह गई है। यह संघर्ष धीरे-धीरे पूरे यूरोप की सुरक्षा को प्रभावित करने लगा है। प्रारंभ में, रूस ने सोचा था कि यूक्रेन जल्दी हार मान लेगा, लेकिन यूरोपीय देशों की सहायता से यूक्रेन ने मजबूती से खड़ा रहना जारी रखा है। अब जर्मनी को यह चिंता सताने लगी है कि रूस भविष्य में उस पर भी हमला कर सकता है। इसी कारण, जर्मनी युद्ध की तैयारी में जुट गया है और तेजी से बंकरों और सुरंगों का निर्माण कर रहा है।


क्या रूस जर्मनी पर हमला कर सकता है? युद्ध विशेषज्ञ और सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह संभव है। जर्मनी के फेडरल सिविल प्रोटेक्शन ऑफिस के प्रमुख राल्फ टेसलर ने हाल ही में कहा कि अब यह मानना गलत है कि जर्मनी को कोई खतरा नहीं है। जर्मन सरकार अब यह मान रही है कि यूरोप में एक बड़ा युद्ध हो सकता है, और यह जल्द ही हो सकता है।


टेसलर के अनुसार, जर्मनी की रणनीति अब केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जा रही है। इसी कारण नए बंकरों का निर्माण और पुराने बंकरों की मरम्मत पर ध्यान दिया जा रहा है।


जर्मनी के चीफ ऑफ डिफेंस जनरल कार्सटन ब्रूअर ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि जर्मनी हर साल सैकड़ों नए टैंक बना रहा है। उनकी योजना है कि यदि 2029 तक NATO देशों पर हमला होता है, तो उनके पास पर्याप्त सैन्य संसाधन हों।


इसके अलावा, जर्मनी में बंकरों का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। मेट्रो स्टेशनों के नीचे अंडरग्राउंड शेल्टर बनाए जा रहे हैं, कार पार्किंग को मजबूत बेसमेंट में बदला जा रहा है, और सार्वजनिक शेल्टर का निर्माण भी जारी है। हालांकि, यह कार्य आसान नहीं है और इसके लिए समय और धन की आवश्यकता होगी।


वर्तमान में, जर्मनी के पास 2,000 बंकर हैं, लेकिन इनमें से केवल 600 ही अच्छी स्थिति में हैं। अभी तक केवल 4.8 लाख लोगों के छिपने की व्यवस्था है, जबकि जर्मनी की जनसंख्या करोड़ों में है। तुलना के लिए, फिनलैंड के पास 50,000 से अधिक प्रोटेक्शन रूम हैं, जहां 48 लाख लोग एक साथ रह सकते हैं। जर्मनी का लक्ष्य है कि कम से कम 10 लाख लोगों के लिए सुरक्षित स्थान बनाए जाएं, जिसके लिए सरकार, आम लोग और निजी कंपनियों का सहयोग लिया जाएगा।