डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच भारत और रूस के रिश्ते मजबूत होते दिख रहे हैं
ट्रंप की टैरिफ धमकी और भारत की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप अब खुद अपने टैरिफ बम में फंसते नजर आ रहे हैं। एक ओर, उन्होंने भारत को चेतावनी दी थी कि यदि 24 घंटे के भीतर रूस से तेल व्यापार बंद नहीं किया गया, तो भारत पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा। लेकिन जैसे ही ट्रंप ने यह धमकी दी, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस पहुंच गए हैं, जिससे ट्रंप की चिंता और बढ़ गई है। डोभाल की यात्रा यह दर्शाती है कि भारत और रूस के बीच संबंध और भी मजबूत होंगे। इस दौरान, यह भी कहा जा रहा है कि डोभाल पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं और तेल के क्षेत्र में द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। हालांकि यह यात्रा पहले से निर्धारित थी, लेकिन इसका महत्व इस समय और भी बढ़ गया है, क्योंकि ट्रंप यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बीच भारत की रूस से तेल आयात करने की आलोचना कर रहे हैं।
भारतीय राजदूत की रूस के उप रक्षा मंत्री से मुलाकात
भारतीय राजदूत ने रूस के उप रक्षा मंत्री से मुलाकात की
डोभाल की मॉस्को यात्रा से पहले, भारतीय राजदूत विनय कुमार ने रूसी उप रक्षा मंत्री कर्नल-जनरल अलेक्जेंडर फोमिन से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की गई। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह बैठक पारंपरिक और मित्रवत माहौल में हुई। दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय बातचीत के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी मंशा की पुष्टि की।
ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ का आरोप
ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया
पिछले सप्ताह, अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसका कारण रूस से तेल और हथियार खरीदने के साथ-साथ 2022 में यूक्रेन में युद्ध को बढ़ावा देना बताया। ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया कि भारत खुले बाजारों में रूसी तेल बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है। हाल ही में, उन्होंने कहा कि वह भारत पर टैरिफ बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप ने सीएनबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि यदि भारत युद्ध मशीन को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा, तो उन्हें यह पसंद नहीं आएगा।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत का ट्रंप पर पलटवार
ट्रंप की टैरिफ धमकी के जवाब में, भारत ने रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ के हमलों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने इन हमलों को 'अनुचित' करार दिया और कहा कि पश्चिमी देश खुद रूस से सामान और सेवाएं खरीदते रह रहे हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि पश्चिमी देशों ने पहले भी अन्य देशों को वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को बढ़ाने के लिए इस तरह के व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया था।