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दिल्ली में दीपोत्सव का भव्य उद्घाटन: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किया आगाज़

दिल्ली में 18 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पहले दीपोत्सव का उद्घाटन किया, जिसमें 1.51 लाख मिट्टी के दीयों की रोशनी से कर्तव्य पथ जगमगाया। इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और एक शानदार ड्रोन शो शामिल था। अयोध्या में भी 28 लाख दीपों की सजावट की तैयारी चल रही है, जो दिवाली के महत्व को और बढ़ा रही है। जानें इस ऐतिहासिक उत्सव के बारे में और कैसे यह भारतीय संस्कृति की एकता को दर्शाता है।
 

दिल्ली में दीपोत्सव का उद्घाटन


18 अक्टूबर 2025 की शाम को दिल्ली ने एक विशेष उत्सव का अनुभव किया, जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शहर के पहले दीपोत्सव का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम शाम 6 बजे शुरू हुआ और कर्तव्य पथ को 1.51 लाख मिट्टी के दीयों की रोशनी से सजाया गया। इस आयोजन में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, राम कथा का वाचन और एक अद्भुत ड्रोन शो शामिल था, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने विचार साझा करते हुए इसे हिंदू त्योहारों का सांस्कृतिक जागरण बताया। उन्होंने आस्था, आत्म-गौरव और सनातन परंपरा के पुनरुत्थान पर जोर दिया। उन्होंने नागरिकों से इस ऐतिहासिक दृश्य का आनंद लेने का आग्रह किया और कहा कि ऐसे उत्सव भारतीय संस्कृति की एकता और आध्यात्मिक जीवंतता को दर्शाते हैं।


अयोध्या में दीपों की महक

दिल्ली में दीपोत्सव की भव्य शुरुआत के साथ, अयोध्या में सरयू नदी के किनारे 56 घाटों पर 28 लाख दीपों की सजावट की तैयारी चल रही है। इस वर्ष राम की पैड़ी पर 32 फुट ऊंचा पुष्पक विमान मॉडल स्थापित किया जाएगा, जिसमें रामायण के दृश्य प्रदर्शित होंगे। इस कार्य में 33,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिन-रात मेहनत की है, जिससे अयोध्या दिव्य वैभव से जगमगाएगा।


दिवाली का महत्व

दिवाली, भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह भगवान राम के रावण पर विजय प्राप्त करने और अयोध्या लौटने की कथा से जुड़ा है। इस अवसर पर लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं, दीये जलाते हैं, देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और परिवार व मित्रों के बीच मिठाइयां और उपहार साझा करते हैं।


कर्तव्य पथ पर दीपोत्सव

कर्तव्य पथ पर आयोजित दीपोत्सव ने न केवल दिल्ली को अयोध्या की आध्यात्मिक भव्यता से जोड़ा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और दिवाली की शाश्वत परंपरा को भी प्रदर्शित किया। राजधानी का यह प्रतिष्ठित मार्ग, एक लाख से अधिक दीपों की रोशनी से जगमगाते हुए, आस्था, भक्ति और प्रकाश की इस रात को यादगार बना गया।