नए साल के जश्न पर मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी का विवादित बयान: मुस्लिम युवाओं से की अपील
उत्तर प्रदेश में नए साल के जश्न पर मौलाना का बयान
उत्तर प्रदेश: जैसे-जैसे साल 2025 अपने अंत की ओर बढ़ रहा है, दुनिया भर में नए साल 2026 का स्वागत करने की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है और लोग पार्टियों की योजना बना रहे हैं। इसी बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें वे मुस्लिम समुदाय से नए साल के जश्न से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं।
नए साल के जश्न पर मौलाना की कड़ी चेतावनी
मौलाना की सख्त राय
वीडियो में मौलाना रजवी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि नए साल का जश्न इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि शरीयत-ए-इस्लामिया के अनुसार, 1 जनवरी को नए साल का जश्न मनाना उचित नहीं है। इस्लाम का अपना कैलेंडर है, जिसमें नया साल मोहर्रम से शुरू होता है, इसलिए गैर-इस्लामी परंपराओं को अपनाना गलत है।
कैलेंडर और संस्कृति का अंतर
धर्मों के कैलेंडर का भेद
मौलाना ने यह भी बताया कि विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में नए साल का आरंभ अलग-अलग समय पर होता है। उदाहरण के लिए, हिंदू कैलेंडर के अनुसार नया वर्ष चैत्र मास से शुरू होता है, जबकि इस्लामिक कैलेंडर में मोहर्रम से। 1 जनवरी का जश्न यूरोपीय संस्कृति से जुड़ा है, जिसे मुख्य रूप से ईसाई समुदाय मनाता है, इसलिए इसे अपनाना इस्लामी परंपराओं के खिलाफ है।
जश्न के तरीकों पर आपत्ति
अशोभनीय गतिविधियों पर आपत्ति
मौलाना रजवी ने नए साल के जश्न के तरीकों पर भी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर की रात को होने वाले कार्यक्रमों में शोर-शराबा, फिजूलखर्ची, नाच-गाना और अशोभनीय गतिविधियां शामिल होती हैं, जिन्हें इस्लाम में नापसंद किया गया है। उनके अनुसार, ये गतिविधियां नैतिक और धार्मिक दृष्टि से गलत हैं।
मुस्लिम युवाओं से अपील
धार्मिक पहचान को प्राथमिकता दें
मौलाना ने मुस्लिम युवाओं से अपील की कि वे नए साल के जश्न से दूर रहें। उन्होंने कहा कि लड़के और लड़कियां इस तरह की गतिविधियों में शामिल न हों और अपनी धार्मिक पहचान और मूल्यों को प्राथमिकता दें।
उलमा की सख्ती का जिक्र
इस्लामी मूल्यों की रक्षा
मौलाना ने चेतावनी दी कि यदि कहीं से यह जानकारी मिलती है कि मुस्लिम युवक-युवतियां नए साल का जश्न मना रहे हैं, तो उलमा-ए-किराम इसे रोकने के लिए सख्ती बरत सकते हैं। उनका कहना था कि समाज में इस्लामी मूल्यों की रक्षा करना धार्मिक जिम्मेदारी है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
विवादित बयान पर बहस
मौलाना रजवी के बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहे हैं। यह वीडियो नए साल से पहले धार्मिक और सामाजिक बहस को और बढ़ा रहा है।