पंजाब के किसानों की 'पराली क्रांति': पर्यावरण के रक्षक बनकर उभरे
पंजाब में किसानों की नई भूमिका
पंजाब: पंजाब के किसान अब केवल अन्नदाता नहीं रह गए हैं, बल्कि वे पर्यावरण के रक्षक भी बन गए हैं। राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में आई ऐतिहासिक कमी ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने राजपुरा थर्मल प्लांट का दौरा किया, जहां उनका उद्देश्य किसानों की उपलब्धियों को मान्यता देना था, जिसे अब 'पराली क्रांति' के नाम से जाना जाता है।
पराली जलाने में कमी
पंजाब में 2021 में पराली जलाने की 71,300 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2024 में घटकर केवल 10,900 रह गईं, यानी 85% की कमी। इस वर्ष अब तक केवल 3,284 घटनाएं सामने आई हैं। यह बदलाव केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि किसानों की सोच और पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेदारी में भी स्पष्ट है।
बायोमास ईंधन का उपयोग
पराली से प्रदूषण नहीं, अब बन रहा बायोमास ईंधन
वर्मा ने कहा, "धान का पुआल अब किसानों के लिए आय का स्रोत बन गया है।" जो पहले जलाया जाता था, अब वही थर्मल प्लांटों में बायोमास ईंधन के रूप में उपयोग हो रहा है। राजपुरा प्लांट में कोयले के साथ बायोमास मिश्रण का निरीक्षण करते हुए वर्मा ने कहा कि पंजाब के किसान अब केवल फसलें नहीं उगा रहे, बल्कि समाधान भी पैदा कर रहे हैं।
नई आय और पर्यावरण के लिए नई उम्मीद
किसानों के लिए नई आय, पर्यावरण के लिए नई उम्मीद
राज्य सरकार के बायोमास-कोयला मिश्रण प्रयासों ने किसानों के लिए नए आय स्रोत बनाए हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि उत्तर भारत की प्रदूषण समस्या से निपटने में भी मदद मिली है।
यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ। इसके पीछे बायोमास संग्रहण ढांचे में निवेश, किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, और सरकारी आर्थिक सहायता का योगदान है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने पंजाब को एक ऐसा मॉडल राज्य बना दिया है, जिसे अन्य प्रदेश अध्ययन कर रहे हैं।
पराली क्रांति का महत्व
पराली क्रांति बनी देश के लिए प्रेरणा
वर्मा ने कहा, "इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी पिछले सीज़न की तुलना में दर्शाती है कि किसान कैसे 'पराली क्रांति' का नेतृत्व कर रहे हैं।" यह केवल प्रशंसा नहीं, बल्कि यह स्वीकार्यता है कि सच्चा बदलाव किसानों की भागीदारी से आता है।
नीतियों का प्रभाव
फर्क नीतियों का नहीं, दृष्टिकोण का
जहां पंजाब ने समस्या को स्रोत पर ही नियंत्रित किया, वहीं दिल्ली अब भी प्रदूषण से जूझ रही है। पंजाब सरकार ने किसानों को दंडित करने के बजाय उनके साथ मिलकर समाधान तैयार किया, यही सफलता की कुंजी रही।
किसानों की जिम्मेदारी
किसान कैसे बने पर्यावरण के प्रहरी
पंजाब के किसानों के लिए यह केवल अनुपालन नहीं, बल्कि भूमि के प्रति अपनी जिम्मेदारी की पुनर्प्राप्ति है। 'पराली क्रांति' ने साबित किया है कि कृषि समृद्धि और पर्यावरणीय जिम्मेदारी एक-दूसरे की पूरक शक्तियां हैं।
जैसे-जैसे दिवाली नज़दीक आई, पंजाब का आसमान पिछले वर्षों की तुलना में अधिक साफ दिखाई दिया। यह किसानों की मेहनत और सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है। यह एक ऐसा उपहार है जो पूरे उत्तर भारत को मिला है। यह है पंजाब की नई कहानी - परिवर्तन, जिम्मेदारी और नेतृत्व की कहानी, जिसे वे लोग लिख रहे हैं जो भारत को भोजन देते हैं।