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पंजाब में बाढ़ राहत पैकेज पर अमन अरोड़ा की कड़ी प्रतिक्रिया

पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1600 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे पंजाबियों के साथ एक घटिया मजाक करार दिया और केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। अरोड़ा ने बाढ़ से हुए नुकसान और किसानों की दुर्दशा के बारे में भी बात की। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और पंजाब की स्थिति के बारे में अधिक जानकारी।
 

पंजाब में बाढ़ से नुकसान और राहत पैकेज

पंजाब बाढ़ राहत: पंजाब के कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने राज्य में आई भयंकर बाढ़ के चलते 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का सामना कर रहे पंजाब के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1600 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर गहरी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने इसे बाढ़ प्रभावित पंजाब के साथ एक घटिया मजाक करार दिया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी आज पंजाब में बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए आए थे।


अरोड़ा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य को कोई ठोस सहायता देने के बजाय इसे 'भद्दा मजाक' बना दिया है।


'पंजाबियों का अपमान'


अरोड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यहां आकर सूबे की स्थिति का अवलोकन करने के बाद भी इस निगूने पैकेज के जरिए पूरे पंजाबियों का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि जब हमारे किसानों की जिंदगी संकट में है और उनके घर, फसलें और पशु बाढ़ में बह गए हैं, तो इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र का यह कदम न केवल निंदनीय है बल्कि पंजाब का घोर अपमान भी है। उन्होंने कहा कि 1600 करोड़ रुपये उन सभी नागरिकों के लिए एक थप्पड़ हैं, जिन्होंने बाढ़ में सब कुछ खो दिया है।


उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये के रोके गए फंड और बाढ़ राहत पैकेज के लिए 20,000 करोड़ रुपये की तत्काल मांग कर रही है, लेकिन मोदी द्वारा दी गई यह सहायता पंजाबियों के साथ एक घटिया मजाक है। यह केंद्र की पंजाब के प्रति अनदेखी को दर्शाता है।


अमन अरोड़ा ने कहा, 'पंजाब की जिंद-जान, हमारी खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। हमारे किसानों ने जिन फसलों को अपने बच्चों की तरह पाला था, वे कटाई से केवल 15-20 दिन पहले ही बर्बाद हो गईं। उनके पास दोबारा बुआई का कोई अवसर नहीं है। हमारे किसान पूरे सीजन की आमदनी खो चुके हैं।' उन्होंने बताया कि कुल 4.80 लाख एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हुई है, जिसमें सबसे अधिक नुकसान झोने को हुआ है, जो 3.71 लाख एकड़ से अधिक है।


उन्होंने कहा कि 1988 के बाद से यह सबसे भयंकर बाढ़ है, जिसने 52 कीमती जानें ले ली हैं और 2000 से अधिक गांवों के लगभग 4 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस बड़े नुकसान को देखते हुए पुनर्वास के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है।


उन्होंने केंद्र सरकार से तत्काल जिम्मेदारी से नुकसान का मूल्यांकन करने और इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए एक व्यापक राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग की।


अमन अरोड़ा ने पंजाब के ऐतिहासिक योगदान और केंद्र की अनदेखी नीति के बीच स्पष्ट अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'आजादी संग्राम से लेकर देश के अन्न भंडार भरने तक, पंजाब हमेशा देश की तलवार और ढाल रहा है। सूबे के किसानों ने दशकों से भारत की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया है और हमारे जवानों ने इसकी सीमाओं की बहादुरी से रक्षा की है। अब जब हमारी अपनी भूमि बाढ़ में डूब रही है और हमारे लोग दुखों का सामना कर रहे हैं, तब भी भारत सरकार का रवैया केवल मांगों से मुँह फेरने वाला है।'