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पंजाब में शिक्षा क्रांति: फिनलैंड के मॉडल से बदल रहा सरकारी स्कूलों का भविष्य

पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में सरकारी स्कूलों में शिक्षा क्रांति की शुरुआत हुई है। फिनलैंड के 'हैप्पीनेस-फर्स्ट' मॉडल को अपनाते हुए, यह पहल बच्चों को एक आनंदमय और बोझ रहित वातावरण में सीखने का अवसर प्रदान करती है। शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वैश्विक स्तर की शिक्षा संस्कृति स्थापित हो रही है। इस नई प्रणाली में गतिविधि-आधारित शिक्षा, छोटे ब्रेक, और व्यावहारिक अनुभव शामिल हैं, जो बच्चों की उपस्थिति और खुशी को बढ़ा रहे हैं। जनवरी 2026 से इस पहल का और विस्तार किया जाएगा।
 

पंजाब में शिक्षा का नया युग


पंजाब : मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में, पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों में एक नई शिक्षा क्रांति की शुरुआत की है, जो बच्चों के भविष्य को पूरी तरह से बदलने का वादा करती है। पुरानी रट्टा प्रणाली को छोड़कर, राज्य ने फिनलैंड के 'हैप्पीनेस-फर्स्ट' मॉडल को अपनाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक आनंदमय और बोझ रहित वातावरण में सीखने का अवसर प्रदान करना है। यह मॉडल बच्चों की मानसिक सेहत, भावनात्मक विकास और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।


शिक्षकों के प्रशिक्षण का नया अध्याय

स्कूलों में गुणवत्ता की नई शुरुआत
इस शिक्षा क्रांति का एक महत्वपूर्ण पहलू सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षित करना है। अब तक 200 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों को फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ तुर्कू में 15-दिवसीय विशेष प्रशिक्षण के लिए भेजा जा चुका है। पहले बैच की यात्रा अक्टूबर 2024 में, दूसरे की मार्च 2025 में और तीसरे की नवंबर 2025 में होगी। यह कदम न केवल शिक्षकों के कौशल में सुधार ला रहा है, बल्कि सरकारी स्कूलों में वैश्विक स्तर की शिक्षा संस्कृति भी स्थापित कर रहा है।


कक्षा में नया माहौल

कक्षा का नया माहौल, छोटे ब्रेक, बड़ा असर
फिनलैंड से लौटकर शिक्षकों ने स्कूलों में गतिविधि-आधारित और छात्र-केंद्रित वातावरण तैयार किया है। अब हर दो पीरियड के बाद छात्रों को छोटा ब्रेक मिलता है, जिससे उनकी एकाग्रता में वृद्धि हुई है। बच्चों को अब अधिक ऊर्जा और खुशी के साथ पढ़ाई करने का अवसर मिल रहा है।


व्यावहारिक शिक्षा का महत्व

व्यावहारिक शिक्षा की दिशा में बड़ा बदलाव
नए मॉडल का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पढ़ाई अब किताबों से बाहर आ रही है। बच्चों को खेतों में धान की रोपाई देखने ले जाया गया है, ताकि वे खेती को समझ सकें। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कराकर उन्हें पर्यावरण संरक्षण का व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है। यह अनुभव-आधारित शिक्षा छात्रों में गहरी समझ विकसित कर रही है।


स्कूल और घर का संबंध

स्कूल और घर का मजबूत संबंध
पटियाला के कपूरी गाँव में 'मॉम वर्कशॉप्स' ने अभिभावकों की भूमिका को मजबूत किया है। माताएँ बच्चों के साथ गतिविधियों में भाग लेकर उनकी पढ़ाई का हिस्सा बन रही हैं, जिससे परिवार और स्कूल के बीच एक मजबूत साझेदारी बन रही है।


तनाव-मुक्त शिक्षा का लाभ

तनाव-मुक्त स्कूल, उपस्थिति में बढ़ोतरी
अब नोटबुक भरवाने या सख्त अनुशासन पर जोर कम है। बच्चे रंग भरने, मॉडल बनाने और खेल के माध्यम से सीखते हैं। इस बदलाव से छात्रों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है और स्कूल आने का उत्साह भी बढ़ा है। बच्चों की खुशी को बढ़ाने के लिए 'जंबो' नाम का गुब्बारा स्कूल में आकर्षण का केंद्र बना है।


भविष्य की तैयारी

स्थायी परिवर्तन की तैयारी, जनवरी 2026 से बड़ा विस्तार
शिक्षा सचिव अनिंदिता मित्रा ने बताया कि जनवरी 2026 से फिनलैंड से लौटे शिक्षक पूरे राज्य में अपने सहकर्मियों को प्रशिक्षण देंगे। इसके साथ ही, साइकोमेट्रिक लैब, जीवन-कौशल आधारित पाठ्यक्रम और फिनलैंड के साथ मिलकर अध्ययन सामग्री बनाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के दृष्टिकोण ने पंजाब के सरकारी स्कूलों को भविष्य-उन्मुख शिक्षा मॉडल का अग्रदूत बना दिया है।