पंजाब यूनिवर्सिटी पर केंद्र का विवादास्पद निर्णय: छात्रों और AAP का जोरदार विरोध
पंजाब में केंद्र सरकार का निर्णय विवादास्पद
पंजाब: पंजाब यूनिवर्सिटी की सैनेट को अचानक भंग करने के केंद्र सरकार के निर्णय ने राज्य में व्यापक विरोध को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। चंडीगढ़ और पूरे पंजाब में ASAP के हजारों छात्रों और AAP कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, नारेबाजी की और केंद्र सरकार को यह संदेश दिया कि 'पंजाब को दबाया नहीं जा सकता।'
शैक्षणिक मुद्दे से बढ़कर स्वायत्तता की लड़ाई
यह घटना अब केवल एक शैक्षणिक मुद्दा नहीं रह गई है, बल्कि यह पंजाब की स्वायत्तता और सम्मान की रक्षा की लड़ाई बन गई है। AAP और छात्रों का कहना है कि बीजेपी का यह कदम पंजाब की संस्थाओं पर नियंत्रण स्थापित करने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
बीजेपी का अचानक हमला
केंद्र ने बिना किसी पूर्व सूचना के पंजाब यूनिवर्सिटी की सैनेट भंग करने का नोटिफिकेशन जारी किया। AAP का आरोप है कि यह कोई सामान्य प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि एक साजिश है ताकि पंजाब की प्रमुख शिक्षण संस्था पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके। पंजाब यूनिवर्सिटी, जो 1882 से पंजाब की शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहचान रही है, इस फैसले का शिकार हुई है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि पंजाब यूनिवर्सिटी केवल एक इमारत नहीं है, बल्कि यह पंजाब की आत्मा है। यहां से भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी निकले हैं, और इस संस्था की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने बीजेपी को चेतावनी दी कि पंजाब के साथ धक्केशाही नहीं चलेगी।
छात्रों का जोरदार विरोध
पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़े सभी कॉलेजों में ASAP के छात्रों ने धरना दिया। पटियाला, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, बठिंडा सहित पूरे राज्य में छात्र सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कहा कि अगर आज पंजाब यूनिवर्सिटी को चुपचाप जाने दिया गया, तो कल अन्य संस्थानों पर भी कब्जा होगा।
AAP का आंदोलन और जन समर्थन
AAP ने इस मुद्दे को जन-आंदोलन में बदल दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने प्रदर्शन में शामिल होकर छात्रों का हौसला बढ़ाया। AAP चंडीगढ़ इकाई के प्रमुख ने कहा कि यह लड़ाई केवल AAP की नहीं, बल्कि पूरे पंजाब की है।
पंजाब यूनिवर्सिटी का सांस्कृतिक महत्व
पंजाब यूनिवर्सिटी से शहीद भगत सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारी निकले हैं। यह संस्था पंजाब की पहचान और संस्कृति का प्रतीक है। AAP के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बीजेपी को समझना चाहिए कि पंजाब वो जगह है जहां अधिकारों के लिए लड़ना खून में है।
भविष्य की रणनीति
AAP ने बीजेपी को स्पष्ट चेतावनी दी है कि पंजाब की संस्थाओं पर दबाव डालने की कोशिशें नाकाम होंगी। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि हम कमजोर नहीं हैं और पंजाब की जनता ने हमें इसलिए चुना है क्योंकि हम उनके हकों के लिए लड़ने का दम रखते हैं।