पंजाब सरकार का ऐतिहासिक फैसला: गांवों की साझा जमीन पर अवैध कब्जे पर लगेगा कड़ा जुर्माना
पंजाब की साझा जमीन की सुरक्षा
Punjab News: पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों की पहचान केवल खेतों, मिट्टी और नहरों से नहीं होती, बल्कि उनकी साझा संपत्ति शमलात जमीन से भी होती है। यह भूमि पीढ़ियों से गांव के सभी निवासियों की सामूहिक संपत्ति रही है। हाल के वर्षों में इस पर अवैध कब्जों की घटनाएं बढ़ी हैं। प्रभावशाली कॉलोनाइज़र और रसूखदार लोग गांव की पगडंडियों, नहरों और सार्वजनिक रास्तों को बंद कर इन जमीनों पर कब्जा कर लेते थे। इससे न केवल ग्रामवासियों के अधिकारों का उल्लंघन होता था, बल्कि पंचायतें भी आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही थीं.
पंजाब सरकार का नया नियम
अब इस समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए पंजाब सरकार ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य की कैबिनेट ने 'पंजाब ग्राम सांझी भूमि नियम, 1964' में संशोधन को मंजूरी दी है। इन नए नियमों के तहत, कोई भी कॉलोनाइज़र शमलात जमीन, नहरों या पुराने रास्तों पर अवैध कब्जा नहीं कर सकेगा। यदि ऐसा किया गया, तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा.
अवैध कब्जे पर चार गुना जुर्माना
नए नियमों के अनुसार, यदि कोई कॉलोनाइज़र ग्राम पंचायत की साझा भूमि पर अवैध कब्जा करता है या रास्ता और नहर बंद करता है, तो उसे उस भूमि की कलेक्टर रेट से चार गुना अधिक राशि चुकानी होगी। यह जुर्माना सीधे पंचायत और सरकार के खाते में जाएगा - 50% राशि पंचायत को और 50% राज्य सरकार को मिलेगी। इससे पंचायतों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और गांवों में विकास कार्यों को गति मिलेगी.
पंचायत को मिलेगा सीधा लाभ
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि कॉलोनाइज़र को न केवल जुर्माना देना होगा, बल्कि ग्रामवासियों के लिए वैकल्पिक रास्ता और नहर भी बनानी होगी। इसका पूरा खर्च कॉलोनाइज़र को उठाना पड़ेगा और ये नई संरचनाएं ग्राम पंचायत की संपत्ति होंगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि गांववासियों के अधिकारों का कोई उल्लंघन न हो.
फिक्स्ड डिपॉज़िट की बाध्यता खत्म
पहले पंचायतों को शमलात जमीन बेचने पर जो राशि मिलती थी, वह केवल फिक्स्ड डिपॉज़िट में जमा की जा सकती थी, जिससे उसका उपयोग सीमित था। अब नए नियमों के अनुसार पंचायत इस धनराशि का उपयोग गांव के विकास कार्यों में कर सकेगी, जिससे गांव में सड़कों, स्कूलों, पानी की व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार होगा.
सरकारी सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े
पंचायत विभाग द्वारा 2022 में कराए गए सर्वे के अनुसार, 100 एकड़ से अधिक साझा भूमि पर अवैध कब्जा पाया गया था। वहीं 85 से अधिक प्राइवेट कॉलोनियों द्वारा नहरों और पानी के रास्तों को भी जबरन बदल दिया गया था। इस नई नीति के लागू होने से अब ऐसे सभी मामलों में सख्त कार्रवाई हो सकेगी.
गांवों को मिलेगी नई ताकत
यह नया नियम गांवों के लिए नई उम्मीद और सुरक्षा लेकर आया है। इससे न केवल पंचायतों की आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामवासियों को उनके मौलिक अधिकारों की पुनः प्राप्ति भी होगी। पंजाब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गांववालों की जमीन, रास्ते और अधिकार अब सुरक्षित हैं.