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पंजाब सरकार का ग्रामीण विकास के लिए 332 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक फंड: जानें क्या है योजना

पंजाब सरकार ने ग्रामीण विकास को नई दिशा देने के लिए 332 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में यह निर्णय पंचायतों को सशक्त बनाने और गांवों के विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि यह राशि 13,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में सीधे ट्रांसफर की गई है। इस फंड का उद्देश्य स्थानीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता तय करने की स्वतंत्रता देना है। जानें इस योजना के तहत और क्या-क्या शामिल है और कैसे यह ग्रामीण जीवन को प्रभावित करेगा।
 

पंजाब सरकार की नई पहल


पंजाब सरकार ने ग्रामीण विकास को नई दिशा देने के लिए हाल ही में 332 करोड़ रुपये की एक महत्वपूर्ण राशि जारी की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में यह निर्णय राज्य की पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने और गांवों के विकास को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


चंडीगढ़ में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा का बयान

वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने चंडीगढ़ में जानकारी दी कि यह राशि राज्य की 13,000 से अधिक ग्राम पंचायतों, 153 पंचायत समितियों और 22 जिला परिषदों के खातों में सीधे ट्रांसफर की गई है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और स्थानीय स्तर पर कामों की शुरुआत में कोई देरी नहीं होगी। सरकार ने इस फंड के उपयोग को दो भागों में बांटा है ताकि विकास के विभिन्न पहलुओं को संतुलित रूप से बढ़ावा मिल सके। कुल राशि में से 156 करोड़ रुपये 'अनटाइड फंड' के रूप में पंचायतों को दिए गए हैं।


स्थानीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता तय करने का अवसर

इस फंड का मुख्य उद्देश्य पंचायतों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार प्राथमिकता तय करने की स्वतंत्रता देना है। चाहे वह सड़क निर्माण हो, सामुदायिक भवन का निर्माण, पेयजल व्यवस्था की मजबूती या बिजली ढांचे का सुधार, पंचायतें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कार्य चुन सकती हैं। इससे स्थानीय निकायों को स्वायत्तता मिलेगी और योजनाओं को तेजी से लागू किया जा सकेगा।


176 करोड़ रुपये का 'टाइड फंड'

इसके अतिरिक्त, 176 करोड़ रुपये 'टाइड फंड' के रूप में आरक्षित किए गए हैं, जो मुख्य रूप से स्वच्छता और ग्रामीण स्वास्थ्य से संबंधित कार्यों पर खर्च किए जाएंगे। इस फंड का उपयोग कचरा प्रबंधन, सामुदायिक शौचालय, स्वच्छ पानी और गांवों को खुले में शौचमुक्त बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में किया जाएगा। यह पहल दर्शाती है कि सरकार का उद्देश्य केवल आधारभूत ढांचा विकसित करना नहीं, बल्कि ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर को भी सुधारना है।


पंचायतों को मिल रही वित्तीय सहायता

पंचायतों को पहली किस्त के रूप में औसतन 1.76 लाख रुपये मिल चुके हैं। सरकार ने दूसरी किस्त के लिए 334 करोड़ रुपये का प्रावधान अगले वित्तीय वर्ष या जनवरी 2026 तक भेजने की योजना बनाई है। इस प्रकार, प्रति ग्राम पंचायत कुल 3.52 लाख रुपये साल भर में उपलब्ध होंगे, जिससे गांवों में विकास कार्य निरंतर चलते रहेंगे। वित्त मंत्री चीमा ने स्पष्ट किया कि जिन पंचायतों की सक्रियता और जवाबदेही अधिक होगी, वहां योजनाओं का प्रभाव भी अधिक दिखाई देगा।


ग्रामीण बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश

राज्य सरकार ने ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी बड़े निवेश की घोषणा की है। 19,000 किलोमीटर सड़कों के नवीनीकरण पर 4,150 करोड़ रुपये और खेल सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इससे गांवों में खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।


फंड वितरण की प्रक्रिया

जिलों में फंड वितरण जनसंख्या और आवश्यकता के आधार पर किया गया है। लुधियाना को 33.40 करोड़, होशियारपुर को 28.51 करोड़ और गुरदासपुर को 27.64 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अन्य जिलों जैसे संगरूर, पटियाला, जालंधर, फिरोज़पुर, फाजिल्का, तरनतारन, मोगा और मुक्तसर को भी पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई गई है, ताकि सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास हो सके।


सरकार द्वारा अपनाया गया 70:20:10 का अनुपात, जिसमें 70% फंड ग्राम पंचायतों, 20% पंचायत समितियों और 10% जिला परिषदों को दिए गए हैं, पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने की दिशा में एक संतुलित और वैज्ञानिक कदम माना जा रहा है। फंड के डिजिटली ट्रांसफर और उच्चस्तरीय निगरानी से यह सुनिश्चित किया गया है कि राशि का उपयोग सही तरीके से हो और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश न रहे।