पश्चिम बंगाल में बीएलओ रिंकू तरफदार की आत्महत्या: क्या है इसके पीछे का सच?
नादिया में बीएलओ की दुखद मौत
नादिया : पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में शनिवार को बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) रिंकू तरफदार अपने घर में मृत पाई गईं। 54 वर्षीय तरफदार एक शिक्षिका भी थीं, जो बंगाली स्वामी विवेकानंद स्कूल में पढ़ाती थीं। उनके परिवार ने आरोप लगाया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत अत्यधिक कार्यभार और मानसिक दबाव के कारण उन्होंने आत्महत्या की। उनका शव कृष्णानगर के बंगालझी क्षेत्र में उनके कमरे की छत से लटका हुआ मिला। इस घटना ने राज्य में चुनावी कर्मचारियों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
राज्य में दूसरी आत्महत्या, चिंता बढ़ी
राज्य में दूसरी घटना, बढ़ी चिंता
यह घटना राज्य में दूसरी बीएलओ आत्महत्या के रूप में सामने आई है। इससे पहले जलपाईगुड़ी जिले में 48 वर्षीय शांति मुनि एक्का, जो आईसीडीएस की कार्यकर्ता और बीएलओ थीं, अपने काम के अत्यधिक दबाव के कारण मृत पाई गई थीं। उनके पति ने बताया कि एसआईआर अभियान के चलते कार्यभार इतना बढ़ गया था कि शांति मानसिक तनाव में थीं। इन दोनों घटनाओं ने यह संकेत दिया है कि चुनावी प्रक्रियाओं में कार्यरत अधिकारियों पर अत्यधिक दबाव और जिम्मेदारी है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य जोखिम में है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान
CM ममता ने घटना पर जताया दुख
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और इसे चिंताजनक बताया। उन्होंने चुनाव आयोग से एसआईआर अभियान को तुरंत रोकने की मांग की। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बनर्जी ने कहा कि रिंकू तरफदार की मौत ने उन्हें "गहरा सदमा" पहुंचाया है और स्थिति बेहद गंभीर है। उन्होंने चुनाव आयोग से सवाल किया कि इस प्रक्रिया के कारण और कितनी जानें जाएंगी और कितने लोग इस दबाव के कारण मरेंगे। मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य में चुनावी अधिकारियों के काम के दबाव और उनके मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा पर गंभीर ध्यान आकर्षित करता है।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा
पुलिस ने रिंकू तरफदार के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अधिकारियों ने बताया कि परिवार का दावा है कि उन्हें अत्यधिक कार्यभार और दबाव झेलना पड़ा और कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और सभी जरूरी कदम उठा रही है ताकि मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। इस घटना ने राज्य में बीएलओ कर्मचारियों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और कार्यभार पर गंभीर सवाल फिर से खड़े कर दिए हैं।