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पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन

पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन भव्य रूप से किया गया, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस पवित्र यात्रा में भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ भी शामिल थे। प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। यह रथ यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। जानें इस अद्भुत यात्रा के बारे में और इसके महत्व को।
 

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का अद्भुत दृश्य

पुरी (ओडिशा) में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा धूमधाम से मनाई जा रही है। आज का दिन विशेष रहा, जब भगवान बलभद्र जी का तालध्वज रथ जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचा। उनके पीछे देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ भी धीरे-धीरे मंदिर की ओर बढ़ रहा है। हर साल आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि को आयोजित होने वाली इस रथ यात्रा में तीनों देवता – श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा – अपने-अपने भव्य रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर जाते हैं।
भगवान बलभद्र का रथ, जिसे तालध्वज कहा जाता है, सबसे पहले निकलता है। यह रथ हरे और लाल रंग का होता है और इसमें 14 पहिए होते हैं। जैसे ही रथ सिंहद्वार पर पहुंचा, भक्तों की जय-जयकार गूंज उठी। पूरा वातावरण 'हरि बोल' और 'जय जगन्नाथ' के नारों से भर गया। देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन, उनके भाई बलभद्र के पीछे आ रहा था, जिसका पीला और काला रंग का संयोजन भक्तों को आकर्षित करता है। भक्त रथ की रस्सी खींचने के लिए उत्साहित नजर आए।
इस पवित्र यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों से पुरी पहुंचते हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं, साथ ही श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, स्वास्थ्य सेवा और छाया की व्यवस्था भी की गई है। यह रथ यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी मानी जाती है। आने वाले दिनों में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ भी इस पवित्र यात्रा में शामिल होगा।