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प्रशांत किशोर का बड़ा बयान: राहुल गांधी का बिहार के युवाओं पर कोई असर नहीं!

प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी के बिहार में युवाओं पर प्रभाव को खारिज करते हुए कहा कि जनरेशन Z उनके कहने पर सक्रिय नहीं होती। किशोर ने बिहार की राजनीतिक सक्रियता और बेरोजगारी की समस्याओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कांग्रेस के प्रभाव को भी कमतर बताया। इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है, जहां युवा मतदाता ठोस मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

बिहार में राहुल गांधी का प्रभाव


बिहार: जन सुराज आंदोलन के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी के बिहार में युवाओं पर प्रभाव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। एक विशेष साक्षात्कार में किशोर ने कहा कि राहुल गांधी का बिहार के युवा वर्ग पर कोई खास असर नहीं है और जनरेशन Z ऐसा समूह नहीं है जो उनके कहने पर राजनीतिक रूप से सक्रिय हो जाए। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी बिहार में आते हैं, कुछ बयान देते हैं, शोबाइट्स करते हैं और फिर चले जाते हैं। जब राज्य के लोग ही उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर रहे, तो जनरेशन Z क्यों करेगा?"


बिहार की राजनीतिक सक्रियता

बिहार की जनता राजनीतिक रूप से सक्रिय
किशोर ने नेपाल में हाल ही में हुए जनरेशन Z विरोध प्रदर्शनों की तुलना बिहार की राजनीति से करते हुए कहा कि बिहार की स्थिति बिल्कुल अलग है। उन्होंने बताया कि बिहार के लोग अत्यंत राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं, भले ही उन्हें जीवन की बुनियादी जरूरतें पूरी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हो। उनके अनुसार, "यहां कोई क्रांति किसी के कहने से नहीं होगी। बिहार के लोग राजनीति में खुद रुचि लेते हैं और अपनी परिस्थितियों के आधार पर निर्णय करते हैं।"


बेरोजगारी और पलायन की समस्या

बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ा मुद्दा
किशोर ने स्वीकार किया कि बिहार के चुनावों में युवा मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनकी मुख्य चिंता बेरोजगारी और पलायन है। उन्होंने कहा कि 20 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं को रोजगार की भारी कमी का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें अन्य राज्यों में जाकर कठिन जीवन जीना पड़ता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह पीढ़ी—चाहे उसे जनरेशन Z कहा जाए या मिलेनियल—बिहार के लिए परिवर्तन की कुंजी हो सकती है, बशर्ते मुद्दे विकास और रोजगार से जुड़े हों, न कि व्यक्तित्व आधारित राजनीति से।


कांग्रेस का बिहार में प्रभाव

‘कांग्रेस बिहार में कोई कारक नहीं’
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी का बिहार की राजनीति में अब कोई बड़ा प्रभाव नहीं रह गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि "कांग्रेस बिहार में राजद की अनुयायी है। सीमांचल क्षेत्र को छोड़कर राज्य में कांग्रेस की कोई वास्तविक उपस्थिति नहीं है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस का मीडिया में ज्यादा कवरेज केवल उसके राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और गांधी परिवार के कारण है, न कि उसके राज्यस्तरीय संगठन की ताकत के कारण।


युवाओं की आवाज

युवा एक नेता या पार्टी के प्रभाव में नहीं
प्रशांत किशोर के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, उनका यह आकलन बिहार के बदलते राजनीतिक समीकरणों को दर्शाता है, जहां युवाओं की आवाज तो मजबूत है, पर वह किसी एक नेता या पार्टी के प्रभाव में नहीं है। इस बीच बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में शांतिपूर्ण और रिकॉर्ड मतदान ने यह संकेत दिया है कि जनता इस बार ठोस मुद्दों पर अपना फैसला सुनाने के मूड में है।