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बदायूं में शिवलिंग का चमत्कार: तालाब खुदाई में प्रकट हुआ प्राचीन शिवलिंग

बदायूं जिले के सराय पिपरिया गांव में तालाब की खुदाई के दौरान एक प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग प्रकट हुआ है, जिसने श्रद्धालुओं को चकित कर दिया। यह घटना सावन के महीने में हुई, जब स्थानीय लोग पूजा के लिए एकत्रित हुए। शिवलिंग की उम्र लगभग 300 साल मानी जा रही है, और इसके प्रकट होने के बाद गांव में भव्य मंदिर बनाने की योजना बनाई गई है। शिप्रा पाठक, जो तालाब खुदवा रही थीं, ने इसे महादेव की कृपा बताया। इस चमत्कार ने पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और आस्था का संचार किया है।
 

सावन में शिव की पूजा का महत्व

सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है। इसी अवसर पर बदायूं जिले के सराय पिपरिया गांव में एक अद्भुत घटना घटी, जिसने सभी को चकित और भावुक कर दिया। जब कमल की खेती के लिए जेसीबी से तालाब की खुदाई की जा रही थी, तभी अचानक मिट्टी के नीचे से एक प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग प्रकट हुआ। यह घटना तेजी से पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।


प्राचीन शिवलिंग की विशेषताएँ

यह शिवलिंग लगभग छह फीट गहराई से निकला और इसकी प्राचीनता स्पष्ट दिखाई दे रही है। इसकी संरचना और रंग से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संगमरमर से बना है और इसकी उम्र लगभग 300 साल हो सकती है। शिवलिंग की खबर फैलते ही आसपास के गांवों से सैकड़ों लोग पूजा और दर्शन के लिए पहुंचने लगे। गांव के बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी महादेव के जयकारे लगाते हुए पहुंचे और इसे दैवीय चमत्कार मानकर श्रद्धा से नमन किया।


भव्य मंदिर का निर्माण

जहां निकला शिवलिंग, वहीं बनेगा भव्य मंदिर

शिवलिंग निकलने की पूर्व सूचना कई संतों को पहले से थी, क्योंकि खुदाई से पहले विधिवत पूजन और हवन किया गया था। स्थानीय साधु-संत परमात्मा दास महाराज ने इसे दुर्लभ शिवलिंग बताया है। वहीं, वाटर वुमन के नाम से प्रसिद्ध शिप्रा पाठक और उनके पिता भाजपा नेता शैलेश पाठक ने घोषणा की कि शिवलिंग जहां मिला है, वहीं भगवान शिव का भव्य और दिव्य मंदिर बनाया जाएगा। इस निर्णय का पूरे गांव और क्षेत्र के लोगों ने स्वागत किया है.


शिप्रा पाठक की आस्था

शिप्रा पाठक की पहल और आस्था का परिणाम

शिप्रा पाठक कमल की खेती को बढ़ावा देने के लिए तालाब खुदवा रही थीं, जब यह चमत्कारी शिवलिंग निकला। उनका मानना है कि सच्ची आस्था से चमत्कार होते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं, बल्कि महादेव की कृपा है कि वह स्वयं प्रकट हुए हैं। शिवलिंग के प्रकट होने को पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा से जोड़ते हुए उन्होंने पंचतत्व पौधोंशाला की शुरुआत की भी बात कही। संत मधुसूदन आचार्य ने इस शिवलिंग को पंचमुखी और अत्यंत प्राचीन बताया और मंदिर निर्माण की घोषणा की।