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बिहार में चुनावी प्रक्रिया में आधार लिंक मोबाइल नंबर की अनिवार्यता

बिहार में चुनावी प्रक्रिया में एक नया नियम लागू किया गया है, जिसके तहत वोटर लिस्ट में संशोधन के लिए आधार से जुड़े मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी। यह निर्णय खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, हाल ही में कर्नाटक में मतदाता सूची को लेकर उठे विवाद के संदर्भ में कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। जानें इस नए नियम के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभाव।
 

चुनाव आयोग का नया नियम

बिहार में चुनावी गतिविधियाँ तेज हो गई हैं, और इसी क्रम में चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी बदलाव की घोषणा की है। अब यदि किसी व्यक्ति को वोटर लिस्ट में अपना नाम जोड़ना, हटाना या संशोधन करना है, तो उसे आधार से जुड़े मोबाइल नंबर की जानकारी देना अनिवार्य होगा। इसका अर्थ यह है कि बिना आधार लिंक मोबाइल नंबर के कोई भी ऑनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।


इस नए नियम का सबसे अधिक प्रभाव उन व्यक्तियों पर पड़ेगा जिनके पास मोबाइल नंबर तो है, लेकिन वह आधार से लिंक नहीं है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां डिजिटल साक्षरता की कमी है, वहां लोगों को इस प्रक्रिया में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, चुनाव आयोग का कहना है कि इससे फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी और वोटर डेटा अधिक पारदर्शी होगा।


कर्नाटक विवाद और कांग्रेस के आरोप

यह निर्णय कर्नाटक में हाल ही में हुए मतदाता सूची विवाद के संदर्भ में आया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक में एक संगठित साजिश के तहत हजारों वोटरों के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। उन्होंने अलंद विधानसभा क्षेत्र का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि वहां 6,000 से अधिक नाम हटा दिए गए।


इन आरोपों पर कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वी. अंबुकुमार ने स्पष्टीकरण दिया है। उनके अनुसार, दिसंबर 2022 में अलंद क्षेत्र से लगभग 6,018 ऑनलाइन आवेदन (फॉर्म-7) प्राप्त हुए थे, जिनमें से केवल 24 सही पाए गए। बाकी 5,994 आवेदन झूठे या गलत थे, जिन्हें खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि इस गड़बड़ी की जांच के लिए एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।