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बिहार में मंत्रियों का बंटवारा: जमां खान बने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

बिहार में हाल ही में मंत्रियों के बंटवारे के दौरान जमां खान को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नियुक्त किया गया है। यह उनके राजनीतिक सफर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसमें उन्होंने कई चुनावों में भाग लिया और अंततः जेडीयू में शामिल होकर नीतीश कुमार की कैबिनेट का हिस्सा बने। जानें उनके पूर्वजों का इतिहास और राजनीतिक उपलब्धियों के बारे में।
 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया मंत्रिमंडल


पटना: बिहार में आज मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का वितरण किया गया। इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गृह मंत्रालय नहीं मिला है, जो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को सौंपा गया है। नीतीश की कैबिनेट में शामिल जमां खान को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया गया है, जो कि सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं।


जदयू के हिस्से में वित्त मंत्रालय

इसके अलावा, विजय कुमार चौधरी को जल संसाधन, संसदीय कार्य, सूचना एवं जनसंपर्क और भवन निर्माण विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। विजेंद्र प्रसाद यादव को ऊर्जा, योजना एवं विकास, वित्त और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपे गए हैं।


चैनपुर सीट से विधायक बने जमां खान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, जमां खान ने कैमूर की चैनपुर सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और लगभग 70 हजार वोट प्राप्त किए। उन्होंने आरजेडी के उम्मीदवार बृज किशोर बिंद को हराया। इससे पहले, वह नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रह चुके हैं।


तीन हार के बाद मिली जीत

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में, जमां खान ने बीएसपी के टिकट पर जीत हासिल की और विधानसभा में प्रवेश किया। वह उस समय पूरे बिहार में बीएसपी के एकमात्र विधायक बने। तीन महीने बाद, उन्होंने बीएसपी छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया। नीतीश कुमार ने उन्हें तुरंत अपने कैबिनेट में शामिल किया और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी।


जमां खान के पूर्वजों का इतिहास

जमां खान का जन्म कैमूर के चैनपुर स्थित नौघरा गांव में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई बनारस में की। रिपोर्टों के अनुसार, जमां खान ने दावा किया है कि उनके पूर्वज कभी हिंदू राजपूत थे, जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपनाया। उनके परिवार में आज भी कई हिंदू रिश्तेदार हैं।


नीतीश कैबिनेट में जमां खान की भूमिका

जमां खान ने पहली बार 2005 में बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2010 में कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन फिर से हार मिली। 2015 में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लगातार तीन हार के बाद, 2020 में उन्होंने जीत का अनुभव किया और जेडीयू से जुड़कर नीतीश कैबिनेट का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए। आज, वह न केवल जेडीयू का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि कैबिनेट में अल्पसंख्यक समुदाय की एकमात्र आवाज भी हैं।