बिहार में मतदाता शुद्धिकरण अभियान: फर्जी वोटरों को हटाने की पहल
बिहार में चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम
बिहार समाचार: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रशासन ने मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान, ऑपरेशन मतदाता शुद्धिकरण, शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत, राज्य की मतदाता सूची से मृत, फर्जी और स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटाए जाएंगे, ताकि केवल वास्तविक मतदाता ही सूची में शामिल हों। इससे विधानसभा चुनाव में फर्जी मतदान पर रोक लगाई जा सकेगी और सही मतदाता अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे।
निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक कदम
पटना के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर यह अभियान पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है। यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि इस बार की मतदाता सूची पूरी तरह से सही हो। इसके लिए जनसहयोग की आवश्यकता है। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि सही मतदाता अपने मत का प्रयोग कर सकें। यह अभियान एक मजबूत प्रयास है, लेकिन इसकी सफलता नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर करती है। यदि आप योग्य मतदाता हैं, तो समय पर BLO से संपर्क करें या ऑनलाइन आवेदन करें, ताकि आपका नाम वोटर लिस्ट से न हटे और आप अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।
घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन
जिलाधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत 30 जून 2025 से BLO (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन करेंगे। हर परिवार में पंजीकृत सभी मतदाताओं के लिए एक विशेष फॉर्म भरवाया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी घर में पांच मतदाता हैं, तो सभी के नाम की पुष्टि और फॉर्म भरना अनिवार्य होगा। फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 25 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। यदि कोई व्यक्ति समय पर फॉर्म नहीं भरता है, तो उसका नाम मतदाता सूची से हट सकता है। हालांकि, इसके बाद भी नागरिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 1950 पर संपर्क किया जा सकता है।
स्वयंसेवकों की मदद से अभियान की सफलता
डॉ. त्यागराजन ने बताया कि इस अभियान की सफलता के लिए प्रशासन ने 500 स्वयंसेवकों की टीम बनाई है। BLO के साथ-साथ शिक्षा विभाग, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका और अन्य विभागों के कर्मियों को भी इस कार्य में शामिल किया गया है। अभियान के तहत नागरिकों से अलग-अलग जन्म वर्ष के आधार पर दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। जिनमें 1987 से 2003 के बीच जन्मे नागरिकों से जन्मस्थान का प्रमाण, मां का पहचान पत्र और 2003 के बाद जन्मे नागरिकों से माता या पिता का कोई वैध पहचान पत्र अनिवार्य है।