बिहार में मां के दूध में यूरेनियम का खतरा, नवजातों के लिए गंभीर चिंता
बिहार में मां के दूध में जहर का मामला
नई दिल्ली। मां का दूध नवजात शिशुओं के लिए सबसे सुरक्षित पोषण माना जाता है, लेकिन अगर उसमें जहर मिल जाए तो स्थिति गंभीर हो जाती है। बिहार में एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि कुछ जिलों में भूजल प्रदूषण का असर अब नवजातों के दूध पर भी पड़ रहा है।
एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बिहार के छह जिलों में हर स्तनपान कराने वाली महिला के दूध में यूरेनियम की उपस्थिति पाई गई है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह एक गंभीर समस्या है, जो बच्चों के स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित कर रही है। यह अध्ययन पटना के महावीर कैंसर संस्थान के डॉक्टर अरुण कुमार और प्रोफेसर अशोक घोष के नेतृत्व में किया गया था।
प्रभावित जिलों की सूची
इस अध्ययन में भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा के 40 महिलाओं के दूध के नमूनों की जांच की गई। सभी नमूनों में यूरेनियम (U238) पाया गया। यह ध्यान देने योग्य है कि किसी भी संस्था ने मां के दूध में यूरेनियम की सुरक्षित मात्रा निर्धारित नहीं की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं मानी जाती।
रिपोर्ट के अनुसार, खगड़िया में सबसे अधिक प्रदूषण स्तर पाया गया, जबकि नालंदा में यह सबसे कम था। कटिहार में एक नमूने में उच्चतम स्तर दर्ज किया गया। अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 70 प्रतिशत शिशु ऐसे स्तर के संपर्क में आए हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह खतरा विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है, जिनका विकास अभी जारी है।
यूरेनियम का स्रोत क्या है?
अध्ययन के सह-लेखक डॉक्टर अशोक शर्मा के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि यूरेनियम पानी में कैसे पहुंचा। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस मुद्दे की जांच कर रहा है। यह तथ्य कि यूरेनियम खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर चुका है और यह कैंसर, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों और बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, अत्यंत चिंताजनक है।
हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि माताओं को अपने बच्चों को दूध पिलाना बंद नहीं करना चाहिए। मां का दूध बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और विकास के लिए आवश्यक है और इसे केवल डॉक्टर की सलाह पर ही रोका जाना चाहिए।