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बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की समीक्षा बैठक: तेजस्वी यादव फिर बने नेता प्रतिपक्ष

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद, आरजेडी ने एक समीक्षा बैठक का आयोजन किया, जिसमें तेजस्वी यादव को फिर से नेता प्रतिपक्ष चुना गया। बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव परिणामों पर चर्चा की और भविष्य की रणनीतियों पर विचार किया। आरजेडी ने 25 सीटें जीतकर विपक्ष का दर्जा बनाए रखा। जानें इस बैठक में क्या हुआ और पार्टी की आगे की योजनाएँ क्या हैं।
 

आरजेडी की समीक्षा बैठक का आयोजन


बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में पार्टी के नेताओं ने चुनाव परिणामों पर गहन चर्चा की और भविष्य की रणनीतियों पर विचार किया। बैठक का एक प्रमुख निर्णय यह था कि तेजस्वी यादव को फिर से बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।


बैठक में शामिल नेता

इस बैठक में आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, और राज्यसभा सांसद मीसा भारती जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इसके अलावा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, बाहुबली सूरजभान सिंह, भाई वीरेंद्र समेत अन्य विधायक और पदाधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे।


तेजस्वी यादव का नेता प्रतिपक्ष बनना

तेजस्वी यादव को विपक्ष का नेता बनाए जाने का एक दिलचस्प पहलू यह है कि आरजेडी ने इस पद को बहुत कम अंतर से खोने से बचा लिया। विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए किसी पार्टी को कुल सीटों का 10 प्रतिशत होना आवश्यक है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटों के अनुसार, आरजेडी को कम से कम 24 सीटें चाहिए थीं। आरजेडी ने 25 सीटें प्राप्त कीं, जिससे तेजस्वी इस पद पर बने रह सके। यदि पार्टी को केवल 23 सीटें मिलतीं, तो न तो आरजेडी विपक्ष का दर्जा प्राप्त कर पाती और न ही तेजस्वी को नेता प्रतिपक्ष की सुविधाएं मिलतीं।


जगदानंद प्रसाद सिंह का बयान

बैठक के बाद, आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगदानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि सर्वसम्मति से तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी गरीबों, किसानों और युवाओं की आवाज को मजबूती से उठाती रहेगी। कुछ नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका भी जताई। उनका कहना था कि चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन को जनता का स्पष्ट समर्थन मिला था, जबकि एनडीए की स्थिति कमजोर थी।


हार के कारणों पर चर्चा

समीक्षा बैठक में चुनाव में मिली हार के कारणों पर विस्तार से चर्चा की गई। जीतने वाले और हारने वाले दोनों उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी राय रखी। महागठबंधन का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, और उसे केवल 35 सीटों पर जीत मिली। इनमें आरजेडी को 25, कांग्रेस को 6, सीपीआई (माले) को 2, जबकि आईआईपी और सीपीआई(एम) को एक-एक सीटें मिलीं। महागठबंधन की सहयोगी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका।