बिहार विधानसभा में नई राजनीतिक दिशा: नीतीश कुमार बने नेता, तेजस्वी यादव को मिली विपक्ष की जिम्मेदारी
बिहार विधानसभा का नया सत्र
बिहार: हाल ही में बिहार विधानसभा के सत्र ने राज्य की राजनीतिक दिशा को स्पष्ट किया है। नीतीश कुमार को सदन का नेता घोषित किया गया है, जबकि तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपा गया। हालांकि, तेजस्वी यादव इस सत्र में उपस्थित नहीं थे क्योंकि वह मंगलवार को दिल्ली चले गए थे। उनकी अनुपस्थिति ने सदन में चर्चा का विषय बना दिया, लेकिन उम्मीद जताई गई है कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन बना रहेगा।
18वीं विधानसभा का पहला सत्र
18वीं विधानसभा का पहला सत्र
बिहार की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र हाल ही में शुरू हुआ। इस अवसर पर सभी विधायकों ने शपथ ली और विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव किया गया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार को सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुना गया। तेजस्वी यादव ने इस मौके पर उम्मीद जताई कि नया अध्यक्ष सत्ता और विपक्ष दोनों को समान अवसर प्रदान करेंगे और विधानसभा की कार्यवाही निष्पक्ष रूप से संचालित होगी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम
बिहार विधानसभा 2025 के चुनाव परिणाम
हाल के विधानसभा चुनाव में एनडीए को भारी बहुमत मिला। एनडीए ने कुल 202 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन केवल 35 सीटों पर सिमट गया। पार्टीवार विवरण में बीजेपी को 89, जेडीयू को 85, आरजेडी को 25, एलजेपी को 19, कांग्रेस को 6, एआईएमआईएम को 5 और हम को 5 सीटें मिलीं। शेष 9 सीटें अन्य छोटे दलों और निर्दलियों के खाते में गईं। नई पार्टी जनसुराज को कोई सीट नहीं मिली, जिसके नेता प्रशांत किशोर को आलोचना का सामना करना पड़ा।
नई कैबिनेट का गठन
नई कैबिनेट में कुल 26 मंत्री शामिल
चुनाव परिणामों के बाद नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया। डिप्टी सीएम पद विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी को सौंपा गया। नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में कुल 26 मंत्रियों को शामिल किया गया, जिसमें बीजेपी के 14, जेडीयू के 8, एलजेपी के 2, हम के 1 और आरएमएल के 1 मंत्री शामिल हैं। इस कैबिनेट गठन ने राज्य में सत्ता संतुलन और गठबंधन की मजबूती को दर्शाया।
राजनीतिक दिशा और भविष्य की संभावनाएं
बिहार विधानसभा का यह सत्र राज्य की नई राजनीतिक दिशा, सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन, और आगामी नीतिगत निर्णयों के लिए मार्गदर्शक साबित होगा। नए नेतृत्व और कैबिनेट गठन के साथ, बिहार में नीति निर्माण और कार्यवाही की गति बढ़ने की संभावना है।