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बिहार सरकार का नया कदम: सामाजिक समावेशिता के लिए दो आयोगों का गठन

बिहार सरकार ने सामाजिक समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए दो नए आयोगों का गठन किया है। ये आयोग उच्च जातियों और अनुसूचित जनजातियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में यह कदम सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। आयोगों का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा और ये संबंधित वर्गों की समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करेंगे। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में और क्या कदम उठाए जाएंगे।
 

बिहार में हर वर्ग की आवाज को मिलेगा सम्मान

बिहार में अब सभी वर्गों की आवाज को सुना जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने समाज के विभिन्न हिस्सों के लोगों को समान अधिकार दिलाने के लिए दो नए आयोगों का गठन किया है। ये आयोग न केवल लोगों की समस्याओं को समझेंगे, बल्कि सरकार को सुझाव भी देंगे कि उनके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। एक तरफ उच्च जातियों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं को समझकर उनके समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। यह पहल दर्शाती है कि सरकार हर समाज के साथ न्याय और समानता की ओर अग्रसर है।


सामाजिक समावेशिता की दिशा में सरकार का नया कदम

बिहार सरकार ने सामाजिक समावेशिता और सभी वर्गों के विकास को ध्यान में रखते हुए दो नए आयोगों के गठन को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 'उच्च जाति विकास आयोग' और 'राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग' का गठन किया गया है। यह निर्णय राज्य में सभी समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


उच्च जाति विकास आयोग का गठन और उसकी जिम्मेदारियां

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, उच्च जातियों के विकास के लिए गठित आयोग का अध्यक्ष भाजपा नेता और पूर्व मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह को बनाया गया है। इस आयोग में कुल पांच सदस्य होंगे। जदयू नेता राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि अन्य तीन सदस्यों में दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह शामिल हैं। इन सभी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। यह आयोग उच्च जातियों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करेगा और सरकार को नीतिगत सुझाव देगा।


अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम और उद्देश्य

बिहार सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए 'राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग' का भी गठन किया है। इस आयोग के अध्यक्ष पश्चिम चंपारण निवासी शैलेंद्र कुमार बनाए गए हैं। इनके साथ सुरेंद्र उरांव उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। आयोग के अन्य सदस्यों में प्रेमशिला गुप्ता, तल्लू बासकी और राजू कुमार शामिल हैं। इस आयोग का कार्यकाल भी तीन वर्षों का होगा। यह आयोग अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं की पहचान करेगा और उनके समाधान के लिए सरकार को सिफारिशें देगा।


समावेशी विकास की ओर सरकार की पहल

इन दोनों आयोगों के गठन को राज्य सरकार द्वारा सामाजिक संतुलन और समावेशी विकास के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह पहल राज्य में सभी समुदायों के लिए समान अवसर और सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। सरकार का मानना है कि जब तक समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक राज्य का समग्र विकास संभव नहीं है। इसलिए इन आयोगों के माध्यम से संबंधित वर्गों की जरूरतों को समझकर योजनाएं बनाई जाएंगी।