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बिहार सरकार के नए दिशा-निर्देश: मछली पालन में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

बिहार सरकार ने मछली पालन के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो मछली पालकों को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन और बेहतर लाभ प्राप्त करने में मदद करेंगे। इन दिशा-निर्देशों में संतुलित आहार, मिनरल मिश्रण और प्रोबायोटिक्स के उपयोग पर जोर दिया गया है। जानें कैसे ये उपाय मछली पालन के व्यवसाय को लाभकारी बना सकते हैं।
 

बिहार सरकार के दिशा-निर्देश: मछली पालन में सुधार

Fish Farming: बिहार सरकार ने जुलाई 2025 के लिए मछली पालन से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं: मछली पालन से जुड़े व्यवसायियों के लिए ये दिशा-निर्देश उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन और बेहतर लाभ सुनिश्चित करने में सहायक होंगे।


मत्स्य निदेशालय ने मछलियों के लिए संतुलित आहार, मिनरल मिश्रण, और प्रोबायोटिक्स के उपयोग पर जोर दिया है। यदि आप मछली पालन के क्षेत्र में हैं, तो इन सुझावों को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। आइए, इन दिशा-निर्देशों का विस्तार से अध्ययन करते हैं।


संतुलित आहार से मछलियों की सेहत में सुधार


बिहार सरकार के मत्स्य निदेशालय ने सलाह दी है कि जुलाई में तालाबों में मछलियों को उनके वजन का 2 से 3 प्रतिशत आहार देना चाहिए। इससे मछलियों की सेहत बनी रहती है और जल प्रदूषण की समस्या कम होती है।


उदाहरण के लिए, यदि तालाब में मछलियों का कुल वजन 100 किलो है, तो 2-3 किलो आहार देना पर्याप्त होगा। यह सुनिश्चित करता है कि मछलियां स्वस्थ रहें और उनका विकास तेजी से हो। सही मात्रा में आहार देना उत्पादन बढ़ाने का पहला कदम है।


मिनरल मिश्रण और प्रोबायोटिक्स का महत्व


मछली पालन में बेहतर परिणाम के लिए पूरक आहार में पोषक तत्वों को जोड़ना आवश्यक है। मत्स्य निदेशालय ने प्रति किलो आहार में 10 ग्राम मिनरल मिश्रण और 5 ग्राम प्रोबायोटिक्स मिलाने की सलाह दी है।


ये तत्व मछलियों की पाचन क्रिया को सुधारते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। स्वस्थ मछलियां न केवल अधिक दूध देती हैं, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बाजार में बेहतर कीमत दिलाती है। इन छोटे बदलावों से मछली पालक अपने उत्पादन को दोगुना कर सकते हैं।


तालाब की देखभाल और सही तकनीक


मछली पालन में सफलता के लिए तालाब की सफाई और जल की गुणवत्ता का ध्यान रखना आवश्यक है। विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई के मौसम में सही तकनीकों का पालन करने से उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सकता है।


तालाब में नियमित रूप से पानी की जांच करें और हानिकारक पदार्थों को हटाएं। इसके अलावा, हरा चारा और प्राकृतिक आहार का उपयोग भी मछलियों के लिए लाभकारी है। बिहार सरकार की यह पहल छोटे मछली पालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करेगी।