बेंगलुरु में दिल दहला देने वाली घटना: क्या खो गई है मानवता?
बेंगलुरु में दिल का दौरा: एक गंभीर घटना
नई दिल्ली: बेंगलुरु से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने शहरी संवेदनशीलता और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बनाशंकरी क्षेत्र में 34 वर्षीय एक युवक की सड़क पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वहां मौजूद लोगों और गुजरते वाहनों में से किसी ने भी तुरंत मदद नहीं की।
घटना का विवरण
यह घटना 13 दिसंबर को हुई। युवक अपनी पत्नी के साथ दोपहिया वाहन पर जा रहा था, तभी उसे अचानक दिल का दौरा पड़ा और वह सड़क पर गिर पड़ा। उसकी पत्नी ने मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन वहां से गुजरने वाले किसी भी वाहन ने नहीं रोका।
घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें महिला को बार-बार सहायता मांगते हुए देखा जा सकता है, लेकिन कोई भी आगे नहीं बढ़ता। न तो मौके पर एम्बुलेंस थी और न ही किसी राहगीर ने तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान करने की कोशिश की।
एम्बुलेंस न मिलने पर दंपति ने खुद ही दोपहिया वाहन से अस्पताल जाने का प्रयास किया, लेकिन दुर्भाग्यवश रास्ते में युवक की मौत हो गई। यह घटना न केवल मानवीय संवेदनाओं की कमी को उजागर करती है, बल्कि आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता पर भी सवाल उठाती है।
एक और चौंकाने वाली घटना
इसी तरह की एक और घटना पिछले सप्ताह आंध्र प्रदेश के अंबेडकर कोनासीमा जिले से सामने आई। यहां एक निजी स्कूल में कक्षा 10 की 14 वर्षीय छात्रा व्याख्यान के दौरान अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी। स्कूल प्रशासन ने उसे तुरंत रामचंद्रपुरम एरिया अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
हृदय रोग संकट की बढ़ती समस्या
ये दोनों घटनाएं भारत में तेजी से बढ़ते हृदय संबंधी स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करती हैं। गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की 'मृत्यु के कारणों' की रिपोर्ट के अनुसार, देश में हृदय रोग अब मौत का प्रमुख कारण बन चुका है।
रिपोर्ट बताती है कि भारत में कुल मौतों में से लगभग एक तिहाई मौतें हृदय रोगों के कारण हो रही हैं। पिछले एक दशक में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। जहां पहले यह प्रतिशत करीब 22 था, वहीं 2021 से 2023 के बीच यह बढ़कर लगभग 31 प्रतिशत तक पहुंच गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि तनावपूर्ण जीवनशैली, समय पर इलाज न मिलना और आपातकालीन जागरूकता की कमी इस संकट को और गंभीर बना रही है। बेंगलुरु की यह घटना समाज और प्रशासन—दोनों के लिए एक चेतावनी है।