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भगदड़ की घटनाओं में वृद्धि: सुरक्षा की आवश्यकता

हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भगदड़ की घटनाओं ने सुरक्षा के मुद्दे को फिर से उजागर किया है। इन घटनाओं में कई लोगों की जान गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समाज और सरकार को इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है। जानें, अतीत में हुई भगदड़ की घटनाएं और सुरक्षा के उपायों की आवश्यकता पर चर्चा।
 

हरिद्वार और बाराबंकी में भगदड़ की घटनाएं

उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में हाल ही में हुई भगदड़ में 8 लोगों की जान चली गई और लगभग 40 लोग घायल हुए। इस घटना की खबर अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के अवसानेश्वर मंदिर में बिजली की तार गिरने से भगदड़ मच गई, जिसमें दो लोगों की मौत और 32 लोग घायल हुए।


भगदड़ के कारण और अतीत के उदाहरण

पिछले कुछ वर्षों में मंदिरों, धार्मिक आयोजनों और सार्वजनिक समारोहों में भगदड़ के कारण कई जानें गई हैं। समाज और सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं।


इस वर्ष 4 जून को आईपीएल में आरसीबी की जीत का जश्न मनाने के लिए जुटी भीड़ में चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ मचने से 11 लोग मारे गए। 3 मई को गोवा के शिरगाओ गांव में श्री लैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान भगदड़ में 6 लोगों की मौत हुई और लगभग 100 लोग घायल हुए। 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोगों की जान गई।


सुरक्षा उपायों की आवश्यकता

समाज और सरकार को भगदड़ की घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए। जब कोई पर्व या समारोह होता है, तो बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं, जिससे सुरक्षा नियमों की अनदेखी होती है। अचानक किसी घटना या अफवाह के फैलने पर भगदड़ मच जाती है, जिससे जानमाल का नुकसान होता है।


इसके अलावा, जब पुलिस और प्रशासन वीआईपी के लिए विशेष रास्ते बनाते हैं, तो आम लोगों पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में, यदि किसी एक व्यक्ति का धैर्य टूटता है, तो हादसा हो सकता है। समाज और सरकार को मिलकर ऐसे उपाय खोजने होंगे, जिससे किसी की जान न जाए।


संपादक की राय


-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक