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भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव: व्यापार और कूटनीति पर असर

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान। अमेरिका ने भारत से आयात पर भारी टैरिफ लगाया है, जिससे भारतीय उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप के तीखे बयानों और भारत के रूस के साथ संबंधों ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस तनाव के पीछे के कारण और भारत की कूटनीतिक मजबूती के बारे में।
 

भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव

अमेरिका और भारत के बीच वर्तमान में संबंधों में स्पष्ट उथल-पुथल देखी जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान, दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी बढ़ी है, जो आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चों पर भी असर डाल रही है।


हाल ही में, अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है, जो एशिया में सबसे अधिक है। यह कदम भारत के व्यापारिक हितों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिसका सीधा असर भारतीय उद्योगों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इस स्थिति के पीछे व्यापारिक नीतियों के साथ-साथ भारत के रूस के साथ संबंध और पाकिस्तान के साथ चल रहे विवाद भी महत्वपूर्ण हैं।


डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था और रूस के साथ उसके संबंधों पर कई बार तीखे बयान दिए हैं। उनके सलाहकार पीटर नवारो ने यूक्रेन संकट को सीधे प्रधानमंत्री मोदी से जोड़ा है। अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकने की सलाह दी है, लेकिन भारत ने इन दबावों को ठुकरा दिया है।


जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के खिलाफ मजबूती दिखाई, तब पाकिस्तान ने ट्रंप के सामने समर्पण कर दिया। इसके विपरीत, भारत ने वॉशिंगटन जाने से इनकार किया, जबकि ट्रंप ने मोदी से कई बार संपर्क करने की कोशिश की। इस कड़े रुख ने भारत की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में साख को बढ़ाया है।


इजरायल के मीडिया में भी भारत की कूटनीतिक मजबूती की चर्चा हो रही है। यरुशलम पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि मोदी ने ट्रंप के हमलों का सामना राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा करते हुए किया, जो यह दर्शाता है कि भारत किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आएगा।