भारत और रूस के संबंध: एस जयशंकर ने अमेरिका के दावों पर दी प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्री का बयान
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अमेरिकी सरकार के उस दावे पर हैरानी जताई, जिसमें कहा गया था कि यूक्रेन के साथ युद्ध के बावजूद भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए दंडात्मक शुल्क लगाया गया है। उन्होंने लावरोव के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं है, बल्कि यह चीन है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि भारत एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार भी नहीं है, यह यूरोपीय संघ है।
अमेरिका से तेल खरीदने की जानकारी
जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने अभी तक चीन पर रूसी तेल आयात के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। अमेरिकी वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा था कि भारत ने युद्ध के बाद रूस से आयात में भारी वृद्धि की है, जबकि चीन ने ऐसा नहीं किया। हालांकि, जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है और इस मात्रा में वृद्धि हुई है।
भारत-रूस संबंधों की स्थिरता
जयशंकर और लावरोव की बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% तक का टैरिफ लगाया है। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस के बीच संबंध सबसे स्थिर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भारत के लिए महत्वपूर्ण है।
रक्षा और तकनीकी सहयोग
जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग भी मजबूत बना हुआ है। रूस भारत के 'मेक इन इंडिया' लक्ष्यों का समर्थन करता है, जिसमें संयुक्त उत्पादन और तकनीकी ट्रांसफर शामिल हैं।
भारत का रूस से तेल आयात
चीन के बाद भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने तेल आयात में तेजी से वृद्धि की है, जिसके कारण अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत का आह्वान किया है।