भारत के तेल आयात पर रूस के प्रभाव का विश्लेषण
रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करने के संभावित परिणाम
भारत यदि रूस से कच्चे तेल का आयात रोकता है, तो इसके परिणामस्वरूप देश का तेल आयात बिल 12 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए यह आंकड़ा चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि सरकार इस वित्तीय वर्ष के शेष समय में रूस से तेल का आयात बंद कर देती है, तो वित्तीय वर्ष 2026 में भारत का ईंधन बिल 9 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकता है। इसके बाद, वित्तीय वर्ष 2027 में यह बढ़कर 11.7 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो मुख्य रूप से तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण होगा।SBI की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सभी देश रूस से तेल खरीदना बंद कर देते हैं, तो वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है, बशर्ते कि अन्य देश अपने उत्पादन को न बढ़ाएं।
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 2022 से रूसी तेल की खरीद में काफी वृद्धि की है। रूस ने रियायती दर पर तेल बेचना शुरू किया था, जिसकी कीमत 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक सीमित थी।
आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी केवल 1.7 प्रतिशत थी, जो बढ़कर वित्तीय वर्ष 2025 तक 35.1 प्रतिशत हो गई है। इस प्रकार, रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। FY25 में, भारत ने रूस से 88 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल का आयात किया, जो कुल 245 मिलियन मीट्रिक टन के आयात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।