भारत में गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए नई एपीडा रजिस्ट्रेशन शर्तें
भारत में चावल निर्यात के लिए नई शर्तें
Rice Export APEDA Registration Indian Agriculture: नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने किसानों और निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। अब गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए नई शर्तें लागू की गई हैं। सभी व्यापारियों को अपने निर्यात अनुबंध को एपीडा (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के साथ रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा।
यह कदम निर्यात प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की प्रतिष्ठा को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। आइए, इस निर्णय की विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
नई शर्तें और नियम
जानकारी के अनुसार, गैर-बासमती चावल (ITC HS Code 1006 3011, 1006 3019, 1006 3091, 1006 3099, 1006 4000) का निर्यात अब फ्री पॉलिसी के तहत किया जाएगा।
हालांकि, इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त जोड़ी गई है कि सभी अनुबंधों का एपीडा के साथ रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बिना रजिस्ट्रेशन के निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह नया नियम निर्यात प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
एपीडा की भूमिका
एपीडा भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
अब गैर-बासमती चावल का निर्यात भी एपीडा के रजिस्ट्रेशन से जुड़ गया है। इस कदम से न केवल निर्यात प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाएगा, बल्कि भारतीय चावल की वैश्विक मांग को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
गैर-बासमती चावल का महत्व
भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। गैर-बासमती चावल की मांग विशेष रूप से अफ्रीकी और एशियाई देशों में अधिक है, क्योंकि यह किफायती है और बड़े पैमाने पर लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
यह चावल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी लोकप्रियता और मांग के कारण यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
किसानों और निर्यातकों को फायदा
केंद्र सरकार के इस निर्णय से गैर-बासमती चावल के निर्यात में अधिक पारदर्शिता और नियंत्रण आएगा। इससे किसानों और निर्यातकों को बड़ा लाभ होगा।
वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी। छोटे व्यापारियों को शुरुआत में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन दीर्घकालिक में यह कदम सभी के लिए लाभकारी साबित होगा। यह निर्णय भारत की वैश्विक छवि को भी मजबूत करेगा।