ममता बनर्जी का पीएम मोदी को पत्र: दार्जिलिंग में गोरखाओं के मुद्दे पर उठाई चिंता
मुख्यमंत्री ने उठाई गंभीर चिंता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर दार्जिलिंग हिल्स, तराई और डुआर्स में गोरखाओं से संबंधित मामलों के लिए केंद्र द्वारा आईपीएस के सेवानिवृत्त अधिकारी पंकज कुमार सिंह को वार्ताकार नियुक्त करने पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस नियुक्ति को एकतरफा बताते हुए प्रधानमंत्री से इसे रद्द करने का अनुरोध किया। ममता ने कहा कि इस प्रक्रिया में राज्य सरकार से कोई परामर्श नहीं किया गया, जो सहकारी संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है।
सीएम का विस्तृत पत्र
मुख्यमंत्री ने अपने दो पन्नों के पत्र में स्पष्ट किया कि गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) के मुद्दे सीधे राज्य सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की भागीदारी के बिना किसी भी निर्णय का लेना संवेदनशील शांति और स्थिरता को खतरे में डाल सकता है। बनर्जी ने कहा कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई हमारे संविधान के मूलभूत सिद्धांतों में से एक सहकारी संघवाद के विपरीत है।
स्थिरता बनाए रखने के प्रयास
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि 2011 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पहाड़ी जिलों में शांति और सद्भाव कायम हैं। उन्होंने कहा कि स्थिरता बनाए रखने के लिए राज्य सरकार और स्थानीय समुदायों ने मिलकर निरंतर प्रयास किए हैं। इसके बिना लिए गए निर्णय क्षेत्र की नाज़ुक शांति को प्रभावित कर सकते हैं।
त्रिपक्षीय समझौते का संदर्भ
ममता बनर्जी ने 18 जुलाई, 2011 को भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बीच हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते का उल्लेख किया। इस समझौते के तहत जीटीए का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य गोरखा समुदाय की विशिष्ट पहचान की रक्षा करना और पहाड़ी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना था।
उन्होंने पत्र में जोर दिया कि भविष्य में समुदाय या जीटीए से जुड़े किसी भी पहल में राज्य सरकार की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे क्षेत्र में स्थायी शांति, विश्वास और समावेशिता बनी रहेगी।
पीएम से पुनर्विचार का आग्रह
अंत में, ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि पंकज कुमार सिंह की नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाए और इसे रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग हिल्स जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विश्वास और सद्भाव बनाए रखने के लिए केंद्र और राज्य के बीच सहयोग और परामर्श आवश्यक है।