महाराष्ट्र में भाजपा को मिला बड़ा राजनीतिक समर्थन, पूर्व पार्षदों का दलबदल
महाराष्ट्र में चुनावी हलचल
महाराष्ट्र: जैसे-जैसे महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम क्षेत्रों से 22 पूर्व पार्षद और नेता भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं, जिससे भाजपा को आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत मिली है। यह महत्वपूर्ण घटना शनिवार को मुंबई में आयोजित एक समारोह में हुई, जहां इन नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
कौन-कौन शामिल हुआ भाजपा में?
भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व पार्षदों की सूची में कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं। इनमें सुरेंद्र पठारे, जो वडगांव शेरी से विधायक बापूसाहेब पठारे के पुत्र हैं, शामिल हैं। बापूसाहेब पहले एनसीपी के सदस्य थे। इसके अलावा, विकास नाना दांगट, सैयाली वंजाले (दिवंगत MNS विधायक रमेश वंजाले की बेटी) और बाला धनकवड़े जैसे नेता भी भाजपा में शामिल हुए हैं।
पिंपरी-चिंचवाड़ क्षेत्र से भी कई पूर्व पार्षद और नेता भाजपा में शामिल हुए हैं, जिनमें उषा वाघरे (पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष), प्रभाकर वाघरे, प्रशांत शिटोले, पूर्व उपमहापौर राजू मिसाल, समीर मसुलकर, जालिंदर शिंदे, विनोद नधे, प्रसाद शेट्टी, अमित गवड़े, मीनल यादव, रवि लांडगे, संजोग वाघरे, नवनाथ जगताप, संजय काटे और पूर्व महापौर मंगला कदम के पुत्र कुशाग्र कदम शामिल हैं।
भाजपा को क्या लाभ होगा?
स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह दलबदल भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक लाभ माना जा रहा है। पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ जैसे शहरी क्षेत्रों में भाजपा को अपने विरोधियों के खिलाफ मजबूत आधार बनाने में यह कदम सहायक होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन क्षेत्रीय नेताओं की स्थानीय पकड़ भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक तैयार करेगी और निकायों में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगी।
विपक्ष में असंतोष का माहौल
जहां भाजपा को स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह महत्वपूर्ण राजनीतिक बढ़ावा मिला है, वहीं विपक्षी दलों में असंतोष भी बढ़ रहा है। खासकर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (UBT) जैसे दलों के पार्षदों का विभिन्न खेमों में शामिल होना इन पार्टियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव का असर निकाय चुनावों के परिणामों पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
2026 के चुनावों पर नजर
मुंबई में भाजपा में शामिल हुए इन नेताओं की सदस्यता के बाद अब सभी की नजरें 15 जनवरी 2026 को होने वाले नगर निगम चुनावों पर टिकी हैं। दोनों क्षेत्रों में भाजपा के पास अब संगठनात्मक ताकत और स्थानीय नेता मौजूद हैं, जो पार्टी को चुनावी माहौल में एक बड़ा लाभ दे सकते हैं।