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मुर्रा भैंस: दूध उत्पादन में विश्व की नंबर-1 नस्ल की विशेषताएँ

मुर्रा भैंस, जो दूध उत्पादन में विश्व की नंबर-1 नस्ल मानी जाती है, अपनी उच्च दुग्ध क्षमता और मजबूत शारीरिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यह नस्ल भारत के हरियाणा में पाई जाती है और इसकी दूध देने की क्षमता 2057 लीटर तक पहुंच सकती है। जानें इसके पालन-पोषण के टिप्स और वैश्विक मांग के बारे में।
 

मुर्रा भैंस: दूध देने वाली सबसे उत्कृष्ट नस्ल

मुर्रा भैंस, जो भारत में सबसे प्रसिद्ध और उच्चतम दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है, दूध उत्पादन में विश्व स्तर पर अग्रणी है। यह नस्ल मुख्य रूप से हरियाणा के हिसार, रोहतक और जींद क्षेत्रों में पाई जाती है, और इसकी उच्च दुग्ध क्षमता तथा मजबूत शारीरिक संरचना के लिए जानी जाती है।


दूध उत्पादन की अद्भुत क्षमता

एक मुर्रा भैंस एक बार में 2057 लीटर तक दूध दे सकती है, जिसमें 6.9% फैट होता है। यह नस्ल न केवल भारत में, बल्कि ब्राजील, वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों में भी डेयरी उद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है।


मुर्रा भैंस की विशेष पहचान

मुर्रा भैंस की पहचान उसके चमकदार काले रंग और छोटे, मुड़े हुए सींगों से होती है। इसका शरीर मजबूत और मांसल होता है, जो इसे कठिन परिस्थितियों में भी टिकाऊ बनाता है। मादा भैंस की औसत ऊंचाई 133 सेंटीमीटर और लंबाई 148 सेंटीमीटर होती है, जबकि नर की ऊंचाई 142 सेंटीमीटर और लंबाई 150 सेंटीमीटर होती है।


दूध की गुणवत्ता और वैश्विक मांग

मुर्रा भैंस का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी दूध देने की क्षमता है। औसतन, यह 1752 लीटर दूध देती है, और कुछ मामलों में यह आंकड़ा 2057 लीटर तक पहुंच सकता है। इसके दूध में 6.9% से 7.8% तक फैट होता है, जो डेयरी उद्योग के लिए अत्यधिक मूल्यवान है।


पालन-पोषण के सुझाव

मुर्रा भैंस का पालन अर्ध-गहन प्रणाली में किया जाता है। इन्हें दिन में खुली जगह या पेड़ों की छाया में रखा जाता है, और रात में ठंडी, हवादार जगह दी जाती है। इनके लिए हरा चारा जैसे बरसीम, जई, बाजरा और मक्का आवश्यक हैं। गर्मियों में पानी और छाया का विशेष ध्यान रखना चाहिए।