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मुलायम सिंह यादव की जयंती: कैसे एक नेता ने उत्तर प्रदेश की झांकी को दिलवाया सम्मान

मुलायम सिंह यादव की जयंती पर, जानें कैसे उन्होंने उत्तर प्रदेश की झांकी को गणतंत्र दिवस पर सम्मान दिलवाया। यह कहानी उनके सरल और दृढ़ नेतृत्व का प्रतीक है, जो हमेशा अपनी मिट्टी और प्रदेश की गरिमा के लिए खड़े रहे। इस लेख में उनके राजनीतिक सफर और एक महत्वपूर्ण घटना का विवरण है, जो उनकी पहचान को और मजबूत बनाता है।
 

मुलायम सिंह यादव का जन्म और राजनीतिक सफर


लखनऊः समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा के सैफई में हुआ। उनकी जयंती को धरतीपुत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुलायम सिंह को हमेशा एक सरल, जमीन से जुड़े और निर्णायक नेता के रूप में जाना गया। उनके व्यक्तित्व की सादगी और दृढ़ता से जुड़े कई किस्से हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण घटना 1988 की है, जब वे केंद्र की संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षा मंत्री थे।


उत्तर प्रदेश की झांकी को मिला सम्मान

उस समय उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी। गणतंत्र दिवस पर हर राज्य अपनी संस्कृति और उपलब्धियों को झांकी के रूप में प्रस्तुत करता है। इन झांकियों को रक्षा मंत्रालय द्वारा अंतिम मंजूरी दी जाती है, और कई बार कुछ राज्यों की झांकियों को अनुमति नहीं मिल पाती। उस वर्ष उत्तर प्रदेश की झांकी का विषय था, “आस्था का महापर्व: कुंभ”, जिसमें साधु-संतों के कटआउट और धार्मिक पृष्ठभूमि प्रमुखता से दर्शाए गए थे।


हालांकि, प्रस्तुति के बाद यूपी की झांकी को अनुमोदन नहीं मिला। ऐसा माना गया कि साधु-संतों की उपस्थिति संयुक्त मोर्चा सरकार की ‘सेक्युलर छवि’ के अनुरूप नहीं थी, लेकिन आधिकारिक कारण स्पष्ट नहीं था। नतीजतन, सूचना विभाग के अधिकारी निराश होकर झांकी हटाने लगे।


मुलायम सिंह की एंट्री ने माहौल बदला

इसी बीच, रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव निरीक्षण के लिए वहां पहुंचे। झांकी को हटाया जा रहा था, लेकिन अभी पूरी तरह से नहीं हट पाई थी। मुलायम सिंह ने यूपी सूचना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को देखा, जिन्हें वे मुख्यमंत्री रहते हुए पहचानते थे। उन्होंने इशारे से बुलाकर पूछा, “आप यहां क्या कर रहे हैं?”


अधिकारी ने बताया कि वे यूपी की झांकी लेकर आए हैं। मुलायम सिंह ने तुरंत कहा, “कहां है, दिखाओ?” तभी रक्षा सचिव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विशेषज्ञ समिति ने झांकी को विषयवस्तु अनुचित होने के कारण निरस्त कर दिया है।


कुंभ में साधु-संत नहीं दिखेंगे तो क्या दिखेगा?

मुलायम सिंह ने अधिकारी से झांकी का विषय पूछा। अधिकारी ने भावुक होकर कहा कि सर, यह कुंभ पर आधारित है। बहुत मेहनत से बनाई गई है। आपके रहते यूपी की झांकी कैसे हट सकती है? यह सुनकर मुलायम सिंह ने सचिव से पूछा कि यूपी की झांकी में आखिर खराबी क्या है? सचिव ने वही तर्क दोहराया कि इसमें सिर्फ साधु-संत दिखाए गए हैं। यह सुनकर मुलायम सिंह ने सख्त लहजे में कहा कि कुंभ में साधु-संत नहीं दिखेंगे तो क्या दिखेगा? तुरंत यूपी की झांकी को चयनित झांकियों की लाइन में लगाइए।


अंत में यूपी को मिला सम्मान

मुलायम सिंह के निर्देश के बाद यूपी की झांकी न केवल परेड में शामिल हुई, बल्कि उस वर्ष पुरस्कृत भी की गई। यह घटना न केवल उनकी तत्परता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मुलायम सिंह अपनी मिट्टी और प्रदेश की गरिमा को कितना महत्व देते थे। धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव का यह प्रसंग आज भी इस बात का प्रमाण है कि वे हमेशा अपनी पहचान और प्रदेश के सम्मान के लिए खड़े रहते थे।