मोरनी रिजर्व वन के लिए हाई कोर्ट का बड़ा आदेश, 31 दिसंबर तक नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश
मोरनी में किसानों के भूमि अधिकारों का मामला
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मोरनी पहाड़ी क्षेत्र में 40,000 किसानों की नौतोड़ भूमि के स्वामित्व के मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अदालत ने सीमांकन और अन्य कार्यों के लिए फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर (एफएसओ) को निर्देशित किया है कि वे 31 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करें।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने एफएसओ को यह भी कहा कि मोरनी हिल्स चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के लिए एक महत्वपूर्ण हरा आवरण प्रदान कर रहा है।
अदालत ने हरियाणा सरकार को आवश्यक दस्तावेज और सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है ताकि एफएसओ सर्वेक्षण, सीमांकन और मानचित्र तैयार कर सके।
सरकार ने पहले कहा था कि सीमांकन का कार्य राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा, जबकि अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कार्य एफएसओ का है।
याचिका का विवरण
इस मामले में विजय बंसल, जो शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष हैं, ने याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि इलाके के 40,000 किसान भूमि के स्वामित्व का अधिकार चाहते हैं।
वन विभाग ने 2018 में अदालत में एक झूठा शपथपत्र पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि समस्या के समाधान के लिए रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी एमपी शर्मा को दो साल के लिए एफएसओ नियुक्त किया गया है।
अदालत को बताया गया कि 59,998 एकड़ भूमि अधिग्रहण का निर्णय लिया गया था, जिसमें से 50,807 एकड़ भूमि का वन क्षेत्र के लिए मुआवजा देकर अधिग्रहण किया गया।
गैर-वन गतिविधियों पर रोक
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि मोरनी हिल्स क्षेत्र में सभी गैर-वन गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी। हरियाणा के वन विभाग के सचिव को इन निर्देशों का पालन करने के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अगली सुनवाई जनवरी 2026 के दूसरे सप्ताह में होगी, जिसमें अदालत यह देखेगी कि उनके निर्देशों का पालन किस हद तक किया गया है।