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राजस्व शब्दावली में बदलाव: हिंदी शब्दों का होगा इस्तेमाल

राजस्व शब्दावली में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें अरबी और फारसी शब्दों को हटाकर हिंदी शब्दों का उपयोग किया जाएगा। यह कदम आम जनता के लिए दस्तावेजों को समझने में आसानी लाने के लिए उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव नई पीढ़ी के लिए आवश्यक है, ताकि वे भविष्य में इन दस्तावेजों को आसानी से समझ सकें। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

करनाल में राजस्व शब्दावली में बदलाव

करनाल (राजस्व शब्दावली)। 'बैनामा मकान एक आबादी देह करनाल नगर निगम फरीक अव्वल द्वारा फरीक दोयम को दिया जाता है, इसके बदले में मुबलिग इतने रुपये हुआ है। मकान भार व तनाजा से मुक्त है।' इस वाक्य को पढ़कर आप शायद भ्रमित हो गए होंगे। अधिकांश लोग इसे समझ नहीं पाते। अब सरकार ने इसे सरल बनाने का निर्णय लिया है। राजस्व शब्दावली में संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भविष्य में जमीन की नई रजिस्ट्री में बैनामा की जगह विक्रय पत्र, आबादी देह की जगह बसा हुआ क्षेत्र, फरीक अव्वल-दोयम की जगह पहला-दूसरा पक्ष, मुबलिग की जगह रकम और बार व तनाजा से मुक्त की जगह सभी झगड़े-विवाद से मुक्त लिखा जाएगा।


अरबी-फारसी शब्दों का हटना

अरबी-फारसी शब्दों का बाहर जाना

राजस्व शब्दावली से अरबी, फारसी और उर्दू के शब्दों को पूरी तरह हटाने का निर्णय लिया गया है। ऐसे लगभग 900 शब्द हैं जो राजस्व रिकॉर्ड्स में उपयोग होते हैं, लेकिन आम जनता को इनका अर्थ नहीं पता। इनकी जगह हिंदी और अंग्रेजी से आए हिंदी शब्दों का उपयोग किया जाएगा। हिंदी विशेषज्ञ भी सरकार के इस कदम की सराहना कर रहे हैं। उनका मानना है कि मातृभाषा में शब्दों का भंडार है, और पुरानी राजस्व शब्दावली को समझना अब कठिन हो गया है। नई पीढ़ी के लिए यह भाषाई परिवर्तन आवश्यक है। पेपरलेस रजिस्ट्री के बाद यह सरकार का अगला बड़ा कदम होगा।


बदलाव की आवश्यकता

बदलाव ना हुआ तो 50 साल बाद कौन समझेगा: डॉ. प्रवीण

पंडित चिंरजीलाल शर्मा राजकीय पीजी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. प्रवीण भारद्वाज का कहना है कि हिंदी शब्दकोश के शब्दों को समझना बहुत सरल है। वर्तमान में राजस्व विभाग में जो शब्द प्रचलित हैं, उनका युग समाप्त हो चुका है। जब ये शब्द कागजों में आए थे, तब ये आम बोलचाल में थे। अब ना तो लाने वाले बचे हैं, ना समझने वाले। केवल राजस्व अधिकारी, कर्मचारी या डीड राइटर ही इन्हें जानते हैं। आम जनता को संशोधन कराने के लिए इन्हीं पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि अब बदलाव नहीं हुआ, तो 40-50 साल बाद की पीढ़ी इन दस्तावेजों को कैसे समझेगी।


धोखाधड़ी का कारण

पुराने शब्दों से होती है ठगी: विनय

इतिहास के प्रोफेसर विनय बताते हैं कि 16वीं सदी में मुगल बादशाह अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने जमीन रिकॉर्ड के लिए फारसी शब्दों का उपयोग शुरू किया था। ब्रिटिश राज ने भी इन्हें जारी रखा। आज भी वही शब्द जमीन के कागजात में प्रचलित हैं। वाहिब, मुतबन्ना, माहूना, मालगुजारी, वसीका, रफा-ए-आम, तरमीम, जद्दी, बारानी, फरीक अव्वल जैसे शब्द आम जनता की समझ से बाहर हैं। इसी कारण लोगों के साथ धोखाधड़ी होती है।


पुराने शब्दों का हिंदी अर्थ

पुराने शब्दों का हिंदी मतलब क्या?

अरबी-फारसी शब्द और उनका हिंदी अर्थ कुछ इस प्रकार है: बैनामा मतलब विक्रय पत्र, मुख्तयारनामा मतलब अधिकारपत्र (पॉवर ऑफ अटॉर्नी), इकरारनामा मतलब सहमतिपत्र, वसीयतनामा मतलब इच्छापत्र, दस्तबरदारी नामा मतलब हक छोड़ना या ट्रांसफर, इंतकाल मतलब मालिकाना हक बदलना, मकबूजा मतलब अधिकृत, गैर मकबूजा मतलब लावारिस, जायदाद मुंतकिल मतलब जमीन ट्रांसफर, मुबलिग मतलब रकम, तरमीम मतलब संशोधन, फरीक अव्वल मतलब प्रथम पक्ष, फरीक दोयम मतलब द्वितीय पक्ष, पड़त पटवार मतलब पटवारी का रिकॉर्ड, पड़त सरकार मतलब सरकार का रिकॉर्ड, मुवाहिब मतलब दान करने वाला, मोहूबदूला मतलब दान लेने वाला, आबादी देह मतलब बसा हुआ क्षेत्र, रहन बाकब्जा मतलब कब्जे के साथ गिरवी, बार व तनाजा मुक्त मतलब झगड़े व विवाद से मुक्त।


बदलाव की प्रक्रिया

पहले से हो रहा बदलाव

40 साल पहले की रजिस्ट्री की तुलना में आज कई अरबी-फारसी शब्द हट चुके हैं। डीड राइटरों ने खुद कई शब्दों को बंद कर दिया है, और नए अधिकारियों ने बदलाव किए हैं। अब राजस्व रिकॉर्ड में बचे फारसी-अरबी शब्दों को हटाने के लिए सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं। हिंदी और प्रचलित शब्दों से प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। – राजेश खुराना, तहसीलदार करनाल।